
नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के कुछ सामानों पर 50% टैरिफ लगाने के बाद भारतीय व्यवसाय और निर्यातक हड़कंप में हैं। ट्रंप ने यह टैरिफ भारत की रूसी तेल खरीद को लेकर लगाया है, जिसे उन्होंने यूक्रेन युद्ध में आर्थिक मदद का जरिया बताया।
इस विवाद के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक अहम सुझाव पेश किया है। राजन ने लिंक्डइन पर साझा किए गए अपने विचार में कहा कि सरकार को तेल रिफाइनरियों पर विंडफॉल टैक्स लगाने पर विचार करना चाहिए। उनका तर्क है कि रिफाइनरी कंपनियां अब कच्चे तेल की रियायती दरों से भारी मुनाफा कमा रही हैं और इस मुनाफे का लाभ छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) को देना चाहिए, जिन्हें अमेरिकी टैरिफ के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
राजन ने कहा, रूसी तेल खरीदने की कीमत अब हमारे छोटे और मध्यम निर्यातकों जैसे टेक्सटाइल और परिधान उद्योग पर भारी पड़ रही है। ऐसे में क्यों न रिफाइनरियों पर विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स लगाया जाए और इसे SMEs को ट्रांसफर किया जाए? इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में जो लोग रूसी तेल से लाभान्वित हो रहे हैं, वे इसके लिए भुगतान करें, बजाय इसके कि यह भार दूसरे लोगों पर पड़े।
टैरिफ पर रघुराम राजन की टिप्पणी
राजन ने इसे “वेक-अप कॉल” करार दिया और कहा कि यह संकेत है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध अब चुनौतीपूर्ण मोड़ पर हैं। उन्होंने इंडिया टुडे टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा:
हम किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भर न रहें। हमें यूरोप, अफ्रीका और अन्य बाजारों की ओर भी देखना चाहिए। साथ ही ऐसे सुधार लागू करें जो हमारे युवाओं को रोजगार देने के साथ 8-8.5% विकास हासिल करने में मदद करें।
छोटे व्यवसाय तलाश रहे नए बाजार
ट्रंप प्रशासन ने यह टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी किया। इसके तहत भारतीय टेक्सटाइल, परिधान, ऑटो, खाद्य और पेय पदार्थ क्षेत्रों के निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हजारों छोटे व्यवसाय अब यूरोप, अफ्रीका और एशिया में नए खरीदार खोजने के लिए प्रयासरत हैं।
भारत की स्थिति और तेल आपूर्ति
भारत ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए मॉस्को के साथ व्यापार जारी रखने का फैसला किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की प्रमुख रिफाइनरियां – रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी – सितंबर में रूसी तेल की खरीद अगस्त के स्तर से 10-20% या लगभग 1.5-3 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाने की योजना बना रही हैं। खास बात यह है कि नायरा एनर्जी में रूसी स्वामित्व भी है।
राजन का सुझाव क्यों अहम
विंडफॉल टैक्स के जरिए, रिफाइनरियों के अतिरिक्त मुनाफे का कुछ हिस्सा सीधे उन उद्योगों को दिया जा सकता है जो अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हैं। इससे भारतीय SMEs को राहत मिल सकती है और निर्यातक अमेरिकी बाजार में टैरिफ की मार से बच सकते हैं।
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