
नई दिल्ली। रेल यात्रा के दौरान यात्रियों का सामान खो जाना आम समस्या है, लेकिन उसे वापस पाने के लिए बनाई गई रेलवे की वेबसाइट की सुविधा पिछले कई महीनों से खुद परेशानी का कारण बनी हुई है। रेलवे द्वारा खोए और बरामद सामान की जानकारी देने के लिए बनाई गई वेबसाइट के “लिस्ट ऑफ लॉस्ट एंड फाउंड आर्टिकल्स” सेक्शन में तकनीकी खामियों के चलते काम ठप पड़ा है। इसके कारण न तो रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) बरामद किए गए सामान की तस्वीरें अपलोड कर पा रहा है और न ही यात्री अपने खोए सामान की जानकारी ऑनलाइन देख पा रहे हैं।
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि वेबसाइट के इस सेक्शन में तकनीकी दिक्कतें सामने आई हैं, जिन्हें जल्द दूर कर लिया जाएगा। खामियां ठीक होते ही आरपीएफ फिर से बरामद सामान की पूरी डिटेल और फोटो वेबसाइट पर अपलोड कर सकेगी, जिससे यात्रियों को अपना सामान पहचानने और वापस पाने में आसानी होगी। आमतौर पर ट्रेन या स्टेशन पर लावारिस हालत में मिलने वाले बैग, मोबाइल, लैपटॉप, नकदी और अन्य कीमती वस्तुओं की जानकारी इसी पोर्टल पर डाली जाती है।
आरपीएफ अधिकारियों के अनुसार, इस समस्या की जानकारी कई बार संबंधित तकनीकी एजेंसी क्रीस (सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम्स) को दी जा चुकी है, लेकिन अब तक समाधान नहीं हो पाया है। इससे यात्रियों के साथ-साथ आरपीएफ कर्मियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
इस बीच दिल्ली रेल मंडल में सामान खोने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। आरपीएफ के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024 की तुलना में 2025 में ऐसे मामलों में करीब 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जहां 2024 में 13,869 शिकायतें दर्ज हुई थीं, वहीं 2025 में 30 नवंबर तक यह संख्या बढ़कर 18,829 तक पहुंच गई। बढ़ती भीड़, प्लेटफॉर्म की अफरातफरी, ट्रेन में चढ़ने-उतरने की जल्दबाजी और यात्रियों की लापरवाही इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
दिल्ली मंडल के डिविजनल सिक्योरिटी कमिश्नर आशुतोष पांडेय ने बताया कि आरपीएफ को रोजाना औसतन 60 से 70 शिकायतें मिलती हैं। सूचना मिलते ही टीम तत्काल कार्रवाई करती है। यदि सामान के मालिक की पहचान हो जाती है तो सीधे संपर्क कर उसे लौटा दिया जाता है, अन्यथा सामान को लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस में जमा कर दिया जाता है। हालांकि, वेबसाइट का लॉस्ट एंड फाउंड सेक्शन बंद होने से बरामद सामान की सार्वजनिक जानकारी साझा नहीं हो पा रही है, जिससे कई मामलों में यात्रियों तक सूचना नहीं पहुंच पाती।
अब यात्रियों और आरपीएफ दोनों की निगाहें क्रीस और रेलवे प्रशासन पर टिकी हैं कि यह तकनीकी समस्या कब दूर होगी, ताकि खोया सामान लौटाने की प्रक्रिया फिर से सुचारू रूप से चल सके।















