
जयपुर : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट “संगठन सृजन अभियान” अब राजस्थान में भी लागू कर दिया गया है। इस अभियान के तहत जिलाध्यक्षों के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। पार्टी हाईकमान ने राज्य में 30 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। यह निर्णय मौजूदा जिलाध्यक्षों और स्थानीय नेताओं में हलचल का कारण बन गया है, क्योंकि अब जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पूरी तरह से पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।
नेताओं की सिफारिश का दौर खत्म
पहले जिलाध्यक्षों के चयन में नेताओं की सिफारिश अहम भूमिका निभाती थी, लेकिन राहुल गांधी के इस नए फॉर्मूले के तहत अब केवल जमीनी फीडबैक के आधार पर ही रिपोर्ट तैयार होगी।
खड़गे और राहुल की अहम बैठक
केंद्रीय पर्यवेक्षकों की दिल्ली में गुरुवार शाम 6 बजे एआईसीसी मुख्यालय में बैठक होगी। इसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी उन्हें दिशा-निर्देश देंगे। इसके बाद पर्यवेक्षक जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं से चर्चा कर तीन-तीन नामों का पैनल तैयार कर हाईकमान को सौंपेंगे।
संगठन को मजबूती देने की कवायद
कांग्रेस प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि हरियाणा, गुजरात, एमपी, यूपी, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी यह अभियान लागू है। नए बने जिलों में भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति इन्हीं रिपोर्ट्स के आधार पर होगी।
योग्य और नए कार्यकर्ताओं को मौका
वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा के मुताबिक, यह निर्णय संगठनात्मक दृष्टिकोण से सही है। इससे नए और योग्य कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा और सिफारिशों पर अंकुश लगेगा।
नवंबर तक देनी होगी रिपोर्ट
केंद्रीय पर्यवेक्षकों को अपनी रिपोर्ट नवंबर के पहले सप्ताह तक देनी है। माना जा रहा है कि जल्द ही उनका जिलों का दौरा शुरू हो जाएगा। मल्लिकार्जुन खड़गे ने साल 2025 को संगठन को समर्पित किया है और 31 दिसंबर 2025 तक राजस्थान में 10 लाख पदाधिकारी बनाने का लक्ष्य रखा गया है।










