आजमगढ़ के राजकीय मेडिकल काॅलेज में रैगिंग, प्रताड़ित किए जा रहे विद्यार्थी

  • चिंतित अभिभावकाें ने सीएम, डिप्टी सीएम काे भेजा पत्र

लखनऊ, आजमगढ। राजकीय मेडिकल काॅलेज एवं सुपर फैसेलिटी अस्पताल चक्रपानपुर आजमगढ़ में नव प्रवेशित छात्र छात्राओं को रैगिंग के नाम पर प्रताड़ित करने का मामला प्रकाश में आया है। परेशान विद्यार्थियों के अभिभावकों ने इस बाबत काॅलेज के प्राचार्य व वार्डेन से शिकायतें भी की, लेकिन प्रताड़ना का सिलसिला नहीं थमा। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और प्रमुख सचिव ​चिकित्सा शिक्षा को एक-एक कर सभी घटनाओं की जानकारी देते हुए जांच की मांग की है।

मुख्यमंत्री को प्रेषित शिकायती पत्र में कहा गया है कि रैगिंग रोकने के लिए राजकीय मेडिकल काॅलेज एवं सुपर फैसेलिटी अस्पताल के प्राचार्य की अध्यक्षता में एंटी रैगिंग कमेटी गठित है। इसमें जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी शा​मिल हैं, लेकिन रैगिंग की घटनाएं थम नहीं रहीं हैं। हालात यह है कि बॉयज़ एवं गर्ल्स हॉस्टल में लगातार रैगिंग हो रही है। यहां के वरिष्ठ छात्र/छात्राएं रैगिंग के नाम पर जूनियर छात्रों को मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित, डराने-धमकाने और अपमानित कर रहे हैं। पीड़ित छात्राें के अभिभावकाें का कहना है कि चिंताजनक बात यह है कि इन घटनाओं की जानकारी हॉस्टल वार्डेन एवं कॉलेज प्रबंधन दी जा चुकी है, लेकिन कोई ठोस या अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। काॅलेज प्रबंधन का रवैया पक्षपाती बना हुआ है। रैगिंग की घटनाएं सामने आने के बाद प्रबंधन छात्रों पर दबाव डालता है कि वे यह लिखित रूप से दें कि जो घटनाएं हुई हैं, वे सब छात्रों की सहमति से हुई हैं ताकि प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से बच सके।

मुख्यमंत्री से न्याय मांगते हुए शिकायती पत्र में अभिभावकों की ओर से कहा गया है ​कि अधिकांश घटनाएं रात में होती हैं। यद्यपि हॉस्टल में विभिन्न वर्ष के छात्रों के लिए अलग ब्लॉक और पार्टिशन बनाए गए हैं, परंतु इन ब्लॉकों के बीच के संयुक्त दरवाज़े रात में खुले रखे जाते हैं, जिससे वरिष्ठ छात्र जूनियर कमरों तक पहुंचते हैं। यह स्थिति प्रबंधन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। इतना ही नहीं सीसीटीवी कैमरे केवल ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए हैं, जबकि प्रथम तल पर नहीं लगाए गए हैं और अधिकांश घटनाएं प्रथम तल में होती हैं। अभिभावकाें ने कहा है कि यदि इस शिकायत पर शीघ्र एवं ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला केंद्र सरकार के उच्चाधिकारियों, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानवाधिकार आयोग एवं न्यायिक प्राधिकरणों को अग्रेषित किया जाएगा।

अभिभावकों की मांग

-रैगिंग से जुड़ी सभी घटनाओं की स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच कराई जाए।

-संबंधित वीडियो, हॉस्टल लॉगबुक और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा जाए ताकि साक्ष्य नष्ट न हों।

-संलिप्त छात्रों, वार्डेन एवं प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

-कॉलेज परिसर और हॉस्टल में सुरक्षा व्यवस्था, सीसीटीवी कवरेज सभी मंज़िलों पर तथा रात्रि निगरानी प्रणाली लागू की जाए।

प्राचार्य ने कहा रैंगिग नहीं होती

इस मुद्दे पर राजकीय मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ बीके राव ने कहा कि रैगिंग की कोई घटना नहीं हुई है और न ही किसी विद्यार्थी को प्रताड़ित किया जा रहा है। सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और नियमित निगरानी होती है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं विद्यार्थियों के बीच मीटिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि क्लास से लेकर हाॅस्टल तक अनुशासन की सख्त व्यवस्था की गई है ताकि रैगिंग से जुड़ी कोई घटना न होने पाए।

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