पीलीभीत में पिछले कई माह से डी रैंक पर पीडब्ल्यूडी: नाराज विधायक ने मुख्यमंत्री से की शिकायत, कार्रवाई की मांग

  • विधायक बाबूराम पासवान ने मुख्यमंत्री से की सीधी शिकायत, कार्रवाई की मांग

पूरनपुर,पीलीभीत। जिले के पूरनपुर क्षेत्र में स्थित माधोटांडा मार्ग का नवनीकरण भ्रष्टाचार की खुली मिसाल बन गया है। करोड़ों रुपये के बजट से तैयार हो रहा यह मार्ग बनने से पहले ही जर्जर होने की कगार पर पहुंच चुका है। स्थानीय विधायक बाबूराम पासवान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस घोटाले की सीधी शिकायत करते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।

“सड़क बनी नहीं, खराब पहले हो गई”

विधायक ने बताया कि माधोटांडा मार्ग के निर्माण का ठेका धर्म-अजय प्रकाश एसोसिएट नामक फर्म को दिया गया था, जिसने घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग करते हुए निर्माण को महज़ खानापूरी बना दिया। सड़क पर डामर उखड़ चुका है, गिट्टियां बाहर निकल रही हैं और वाहन चालकों की जान जोखिम में है।

“जनता गड्ढों में, अफसर कुर्सियों पर”

क्षेत्रीय जनता में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह मार्ग अब सड़क नहीं, बल्कि जानलेवा खाई बन चुका है। दोपहिया वाहन चालकों, स्कूली बच्चों और मरीजों को लेकर चलने वाली एम्बुलेंस तक के लिए यह रास्ता जान का खतरा बन चुका है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

“डी-रैंकिंग में पीडब्ल्यूडी विभाग”

गौरतलब है कि पीलीभीत का पीडब्ल्यूडी विभाग गत माह से प्रदेश की “डी-रैंकिंग” में दर्ज है। यानी यह विभाग अपने काम, जवाबदेही और गुणवत्ता तीनों में बुरी तरह फेल हो चुका है। सवाल यह है कि इतनी खराब स्थिति के बावजूद ना तो ठेकेदारों पर शिकंजा कसा गया, ना ही अधिकारियों पर कोई कार्रवाई हुई।

“अब जांच नहीं, जवाब चाहिए” — विधायक का अल्टीमेटम

मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान विधायक पासवान ने स्पष्ट शब्दों में कहा —
“यह सिर्फ सड़क नहीं, जनता की उम्मीदों का मसला है। सरकार की योजनाएं ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों की वजह से बदनाम हो रही हैं। अब सिर्फ जांच नहीं, सजा चाहिए।”

उन्होंने मांग रखी कि:

  • माधोटांडा मार्ग की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच कराई जाए
  • ठेकेदार फर्म को ब्लैकलिस्ट किया जाए
  • संबंधित पीडब्ल्यूडी अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई हो

“अगर यह भी दब गया, तो भरोसा किस पर करें?”

जनता सवाल कर रही है कि जब एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को खुद मुख्यमंत्री के पास जाकर शिकायत करनी पड़े, तो फिर स्थानीय प्रशासन और विभाग का औचित्य क्या? है।

लोगों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि अब चुप बैठने का वक्त नहीं है।

बेबाक सवाल यह है — क्या अब भी शासन सोता रहेगा, या पीडब्ल्यूडी में फैले इस ‘सड़क माफिया गठजोड़’ पर कोई तगड़ी चोट की जाएगी।

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