
चंडीगढ़ : पंजाब में बाढ़ से हुई भारी तबाही के बाद अब राज्य सरकार दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कदम बढ़ा रही है। सरकार आने वाले समय में 10 वर्षीय मास्टर प्लान तैयार करने जा रही है, ताकि भविष्य में बाढ़ से बेहतर तरीके से निपटा जा सके। इसके लिए प्रदेश की चार प्रमुख नदियों—सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर – सहित सभी नालों का विस्तृत अध्ययन कराया जाएगा। इसी आधार पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) बनाई जाएगी। जल संसाधन विभाग ने इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है और इसके लिए विशेषज्ञ कंसल्टेंट को नियुक्त करने की तैयारी चल रही है।
मास्टर प्लान के मुख्य उद्देश्य
विभाग के अनुसार, इस योजना का लक्ष्य बाढ़ नियंत्रण, जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करना, अतिरिक्त पानी का सही उपयोग, नदी तटों का विकास और पर्यावरणीय गतिविधियों के लिए एक सुदृढ़ ढांचा तैयार करना है। रिपोर्ट के आधार पर नदी तटों को मजबूत करने, सफाई करने और उनके आधुनिकीकरण का कार्य किया जाएगा। साथ ही बाढ़ संभावित क्षेत्रों को भी विशेष रूप से शामिल किया जाएगा।
कंसल्टेंट की नियुक्ति
मुख्यमंत्री भगवंत मान की मंजूरी के बाद विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। योग्य एजेंसियों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, ताकि विशेषज्ञ कंसल्टेंट की मदद से इस मास्टर प्लान को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
नदियों की क्षमता और चुनौती
सतलुज की क्षमता 2 लाख क्यूसेक, ब्यास की 80 हजार क्यूसेक और रावी की करीब 2 लाख क्यूसेक पानी तक की है। इस बार बांधों से ज्यादा पानी छोड़े जाने के कारण नदियों में जलस्तर बढ़ गया और नालों के ओवरफ्लो होने से बाढ़ की स्थिति बनी। मास्टर प्लान में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाएगा कि अधिक जल निकासी के लिए नदियों और नालों को कैसे सक्षम बनाया जाए। इसमें नालों की नियमित सफाई, ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत करने और नई नहरों के निर्माण जैसी योजनाएं शामिल होंगी, ताकि पानी का बेहतर उपयोग हो सके।
रिपोर्ट में शामिल प्रमुख बिंदु
- सभी नदियों के फ्लड जोन की पहचान।
- नदियों व नालों पर हुए अतिक्रमण का पता लगाना।
- मानसून और सामान्य दिनों में नदी के जल प्रवाह का अध्ययन।
- सर्वे से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तटबंध, बांध और अन्य बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं की योजना तैयार करना।