
चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के फैसले पर पंजाब सरकार की याचिका पर गुरुवार को जोरदार बहस हुई। पंजाब सरकार ने दलील दी कि बीबीएमबी को इस तरह का निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट ने इस पर पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वह बोर्ड की शक्तियों को तय करने वाले 1974 के नियमों की प्रति अगली सुनवाई तक अदालत में पेश करे। पंजाब सरकार ने 23 अप्रैल को हुई बीबीएमबी की बैठक के मिनट्स को चुनौती दी है। इस बैठक में बोर्ड ने हरियाणा में पीने के पानी की कमी और नहर मरम्मत कार्य का हवाला देते हुए 8,500 क्यूसेक तक अतिरिक्त पानी देने का निर्णय लिया था। पंजाब का कहना है कि यह फैसला खतरनाक उदाहरण पेश करेगा, क्योंकि रावी-ब्यास जल का बंटवारा केवल पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत होना चाहिए, किसी बोर्ड के प्रस्ताव से नहीं।
बीबीएमबी की ओर से दलील दी गई कि बोर्ड ने अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर ही यह कदम उठाया। बोर्ड राज्यों की हिस्सेदारी में बदलाव नहीं करता बल्कि मौसमी परिस्थितियों, जलस्तर और सुरक्षा के आधार पर भाखड़ा और पोंग बांध से पानी की निकासी को नियंत्रित करता है।
हाईकोर्ट ने 23 और 24 अप्रैल की बैठकों के मिनट्स का अवलोकन किया। इसमें पाया गया कि जहां हरियाणा ने अतिरिक्त पानी की मांग पर जोर दिया, वहीं पंजाब ने साफ कहा कि 4,000 क्यूसेक से अधिक पानी नहीं दिया जाना चाहिए। बीबीएमबी चेयरमैन ने तकनीकी कारणों से जलस्तर घटाने को जरूरी बताया और कहा कि दोनों राज्य आपसी सहमति से फैसला कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पंजाब को बीबीएमबी के प्रस्ताव से आपत्ति है, तो उसे केंद्र सरकार से शिकायत करनी चाहिए।














