बिहार चुनाव में ‘साइकोलॉजिकल गेम’! RJD और JDU के बीच में BJP सयानी

Bihar Chunav 2025 : बिहार में चुनाव का माहौल गरमाता जा रहा है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी ताकत दिखाने के लिए जोड़-घटाव का खेल खेल रही हैं। वे दूसरी पार्टियों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर अपने पत्ते खोल रहे हैं, ताकि यह साबित किया जा सके कि उनकी पार्टी लोकप्रिय है और सरकार बनाने की दौड़ में आगे है। इस समय राज्य की मुख्य पार्टियों में यह खेल खूब जोरो पर चल रहा है।

बिहार की चुनावी जंग में इन दिनों नेताओं का जोड़-घटाव का खेल चल रहा है। हर पार्टी दूसरे दल के नेताओं को अपने साथ शामिल कर अपने मजबूत दावे कर रही है। असल में, दूसरे दल के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर वे यह दिखाना चाहते हैं कि उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है और जनता में उनकी छवि सरकार बनाने वाली की है। ये खेल मुख्य पार्टियों के बीच बड़े जोरों पर चल रहे हैं। चलिए जानते हैं कि किसने किसका मोहरा बना लिया है।

जदयू ने खेला दलित राजनीतिक का खेल

जदयू ने बुधवार को एक दलित नेता को अपने साथ मिलाकर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। जदयू के रणनीतिकारों ने अलौली विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक रामचंद्र सदा को पार्टी में शामिल कर लिया। रामचंद्र सदा वही नेता हैं, जिन्होंने जदयू के टिकट पर लोजपा के उम्मीदवार पशुपति पारस को हराया था। उस समय रामचंद्र सदा को 53,775 वोट मिले थे, जबकि पशुपति पारस को 36,252 वोट। यह फिर से जदयू में वापसी है, क्योंकि 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद रामचंद्र सदा ने पार्टी छोड़ दी थी।

राजद ने दी जदयू को दिया बड़ा झटका

राजद ने इन दिनों अपने ‘MY’ समीकरण को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। नवादा से जदयू के विधायक रहे कौशल यादव और उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव को तेजस्वी यादव की मौजूदगी में राजद की सदस्यता दिलाई गई। इस कदम ने ना सिर्फ जदयू को झटका दिया, बल्कि नवादा जिले में यादव वोटरों के बीच राजद की पकड़ और मजबूत कर दी। कौशल यादव को पार्टी में शामिल कर राजद ने नवादा और गया जिले में अपनी पैठ बढ़ा दी है।

भाजपा ने भी की बड़ी सेंधमारी

बिहार की राजनीति में भाजपा ने फिर से तगड़ा खेल खेला है। जहानाबाद जिले के वरिष्ठ नेता डॉ. अजीत यादव को भाजपा की सदस्यता दिला दी गई है। अजीत यादव राजद के बड़े नेता और उद्योगपति भी हैं। वे लंबे समय से संगठन में काम कर रहे थे, लेकिन पार्टी में उन्हें अनदेखी के कारण नाराजगी हो गई थी। उनके पिता सुरेश यादव भी राजद में सक्रिय थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें वह पहचान नहीं दी, जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे। डॉ. अजीत को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने जहानाबाद में यादव नेता को अपने साथ मिला लिया है। इससे पहले भाजपा ने पूर्व विधायक अरुण यादव को भी पार्टी में शामिल किया था।

चुनाव से पहले का साइकोजिकल गेम

राजनीतिक जानकार ओमप्रकाश अश्क कहते हैं, “हर चुनाव से पहले नेताओं का जोड़-घटाव का खेल चलता है। हर पार्टी कोशिश करती है कि अपने पुराने और मजबूत नेताओं को अपने साथ जोड़ ले, ताकि अपनी ताकत दिखा सके। साथ ही, नेता भी इस समय अपने भविष्य को लेकर सजग हो जाते हैं। अगर उन्हें लगता है कि टिकट नहीं मिलेगा तो वे दूसरी पार्टी की ओर देखना शुरू कर देते हैं।”

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