‘वोट चोरी’ का विरोध : राहुल गांधी बोले- देश की आत्मा लिए है यह लड़ाई, हिरासत में लिए गए सभी विपक्षी सांसद, रिहा

नई दिल्ली: ‘वोट चोरी’ के आरोप में विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन से लगभग एक किलोमीटर दूर निर्वाचन आयोग के मुख्यालय तक विरोध मार्च शुरू किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और विरोध को देखते हुए हिरासत में ले लिया। पुलिस ने सांसदों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बैरिकेड लगा दिए थे।

जैसे ही सांसदों को रोका गया, कई सांसद सड़क पर बैठ गए और नारे लगाने लगे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव बैरिकेड पर चढ़ गए। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और कांग्रेस की संजना जाटव और जोथिमणि सहित कुछ महिला सांसद भी बैरिकेड पर चढ़ने लगी और निर्वाचन आयोग के खिलाफ नारे लगाने लगीं।


बिहार में मतदाता सूची में संशोधन और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए सोमवार को निर्वाचन आयोग के कार्यालय जाने के दौरान हिरासत में लिए गए सभी विपक्षी सांसदों को करीब दो घंटे बाद रिहा कर दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
लोकसभा में विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत और तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष समेत 30 से ज़्यादा सांसदों को हिरासत में लेकर संसद मार्ग थाने ले जाया गया। अधिकारियों ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने सिर्फ 30 सांसदों को ही अपने परिसर में प्रवेश की अनुमति दी थी, लेकिन प्रदर्शनकारी “बड़ी संख्या” में थे।
इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि
यह लड़ाई देश की आत्मा के लिए है।

रिहा होने के बाद उन्होंने कहा, हिंदुस्तान में लोकतंत्र की हालत देखिए। 300 सांसद चुनाव आयोग से मिलना चाहते हैं, लेकिन चुनाव आयोग कहता है- आप मिलने नहीं आ सकते हैं। क्योंकि चुनाव आयोग सच्चाई से डरता है। अब ये राजनीतिक लड़ाई नहीं है, ये देश की आत्मा को बचाने की लड़ाई है। संविधान को बचाने की लड़ाई है। संविधान के हिसाब से एक व्यक्ति को एक वोट का अधिकार है। हमने साफ दिखाया है कि अब ‘एक व्यक्ति-एक वोट’ का कॉन्सेप्ट नहीं है।

देश के युवाओं को ये सच्चाई पता चल गई है। अब चुनाव आयोग का छिपना मुश्किल है। यह चुनाव आयोग का डेटा है। यह मेरा डेटा नहीं है, जिसके लिए मैं हलफनामे पर दस्तखत करूं। चुनाव आयोग डेटा उठाए और उसे अपनी वेबसाइट पर डाले, फिर उसे खुद पता चल जाएगा। यह सब सिर्फ मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए है। ऐसा सिर्फ बेंगलुरु में ही नहीं हुआ, बल्कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में भी हुआ है। चुनाव आयोग जानता है, जो डेटा वो छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, वो फटेगा।

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