
Ujjwal and Neelu Kundli: उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक बड़े ऑनलाइन पोर्नोग्राफी रैकेट का खुलासा हुआ है, जिसमें विदेशी फंडिंग और वयस्क मनोरंजन से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पता चला है. यह रैकेट उज्ज्वल किशोर और उनकी पत्नी नीलू श्रीवास्तव द्वारा पिछले पांच वर्षों से संचालित किया जा रहा था और इसमें विदेशों से भारी मात्रा में धन आ रहा था.
सूत्रों के अनुसार, दंपत्ति साइप्रस स्थित टेक्नियस लिमिटेड नामक कंपनी से जुड़े थे, जो Xhamster और Stripchat जैसी वयस्क मनोरंजन वेबसाइटों का संचालन करती है. इन्होंने बैंकिंग लेनदेन में भुगतान के उद्देश्य को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे ऐसा लगे कि यह विज्ञापन और मार्केट रिसर्च के लिए किया गया भुगतान है.
नोएडा में उज्ज्वल किशोर और पत्नी नीलू श्रीवास्तव अपने फ्लैट में मॉडल्स लड़कियों से पोर्न Video शूट करवा रहे थे। ED ने छापा मार दिया। पता चला कि वो आइसलैंड कंट्री साइप्रस की एक कंपनी के लिए काम करते थे। 75% पैसा कपल्स खुद और 25% मॉडल्स को देते थे।
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) March 29, 2025
ED को घर में ही एडल्ट वेबकैम… pic.twitter.com/BlKrbeyINK
सोशल मीडिया में विज्ञापन से कैसे फंस जाती थी दिल्ली NCR की महिलाएं?
ये कपल Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर मॉडल्स की भर्ती करता था. इन्होंने ‘echato dot com’ नामक एक पेज बनाया, जिसमें मॉडलिंग के आकर्षक अवसर और ऊंचे वेतन का लालच दिया जाता था. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की कई महिलाओं को इस विज्ञापन के जरिए फंसाया गया. जब वे नोएडा स्थित फ्लैट में ऑडिशन के लिए पहुंचतीं, तो उन्हें पोर्नोग्राफी रैकेट का हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया जाता. उन्हें 1 से 2 लाख रुपये प्रति माह की कमाई का वादा किया जाता था.
ईडी की छापेमारी के दौरान, दंपत्ति के फ्लैट में एक हाई-टेक वेबकैम स्टूडियो पाया गया, जहां से OnlyFans जैसी वयस्क स्ट्रीमिंग साइट्स पर कंटेंट प्रसारित किया जाता था. यह स्टूडियो उन्नत ब्रॉडकास्टिंग उपकरणों से लैस था. छापेमारी के समय तीन महिलाएं स्टूडियो में ऑनलाइन काम कर रही थीं, जिनके बयान दर्ज किए गए हैं.
कौन कितना लेता था पैसा?
रैकेट में शामिल मॉडल्स को उनके प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जाता था. सेवाओं को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया था – हाफ-फेस शो, फुल-फेस शो और पूर्ण नग्नता. ग्राहक इन सेवाओं के लिए टोकन खरीदते थे, जिनकी कीमत श्रेणी के अनुसार तय होती थी. आमदनी का 75% हिस्सा दंपत्ति रख लेता था, जबकि मॉडल्स को केवल 25% मिलता था. भुगतान क्रिप्टोकरेंसी के जरिए लिया जाता था, जिससे लेनदेन का कोई सीधा रिकॉर्ड न रहे.
ईडी को नीदरलैंड में एक बैंक खाता मिला, जहां Technius Limited द्वारा 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे. यह पैसा बाद में अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड के जरिए भारत में कैश में निकाला गया. जांच एजेंसी के अनुसार, इस रैकेट के जरिए हजारों महिलाओं को भर्ती किया गया होगा. फिलहाल इस मामले में विस्तृत जांच जारी है और ईडी दंपत्ति के अन्य संपर्कों की भी पड़ताल कर रही है.