
लखनऊ : स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 पूरी तरह एक तरफा है और निजी कंपनियां के पक्ष में बनाया गया है। इसके अतिरिक्त निजी कंपनियों को सारी जमीन बेहद कम दाम पर मुहैया कराई जाएगी । निजी कंपनियों को क्लीन बैलेंस शीट दी जाएगी। घाटे और देनदारियों का सारा बोझ सरकार अपने ऊपर ले लेगी। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की चल रही पूरी प्रक्रिया को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निरस्त करने की मांग की है।
संघर्ष समिति ने बताया कि केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 का पालन करने पर सरकार को निजी कंपनियों को ट्रांजिशन सपोर्ट के नाम पर न्यूनतम 05 से 07 वर्ष तक सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति करनी पड़ेगी और इस एवज में अरबों रुपए खर्च करने पड़ेंगे । यह अवधि तब तक और बढ़ाई जा सकती है जब तक निजी कंपनियां मुनाफे में न आ जाय।
स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसके आधार पर निजीकरण करने के बाद भी सरकार को प्रतिवर्ष अरबों खरबों रुपए निजी कंपनियों को देना पड़ेगा। घाटे का सारा दायित्व सरकार उठाएगी और आम उपभोक्ताओं के टैरिफ में कर्मचारियों के टर्मिनल बेनिफिट्स का भार जोड़ा जाएगा। ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट के चयन और आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार किए जाने के बीच निजीकरण का आधार स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2020 से बदलकर स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 हो गया है ।
ऐसे में निजीकरण की सारी प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए और पहले स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 सार्वजनिक किया जाय जिसके आधार पर प्रदेश के 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था निजी घरानों को दी जा रही है।
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