प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को अब बिना नोटिस नहीं निकाल पाएगी कंपनी

नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है। अब निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को बिना सरकार की अनुमति के नहीं निकाला जाएगा। इस फैसले से कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित बनी रहेगी और उन्हें अचानक नौकरी छोड़ने का डर नहीं सताएगा। केंद्र सरकार ने यह कदम कर्मचारियों के हित में उठाया है, जिससे श्रम संबंधों में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ेगी।

श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि केंद्र सरकार ने श्रमिकों के हित में 29 पुराने श्रम अधिनियमों को एकीकृत कर चार नई श्रम संहिताएं लागू की हैं। इन संहिताओं में शामिल हैं:

  • मजदूरी संहिता 2019
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020
  • औद्योगिक संबंध संहिता 2020
  • उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता 2020

संहिताओं का प्रभाव

यह नई व्यवस्था 21 नवंबर से पूरे देश में लागू हो चुकी है। मंत्री ने कहा कि पहले कुल 1228 धाराएं थीं, जिन्हें घटाकर अब मात्र 480 कर दिया गया है। नियमों की संख्या को भी कम कर 1436 से घटाकर 351 कर दिया गया है। साथ ही, 84 रजिस्टरों की जगह अब केवल 8 रजिस्टर होंगे और 31 रिटर्न के स्थान पर एकल रिटर्न प्रणाली लागू की गई है।

इंपीक इंस्पेक्टर राज समाप्त

मंत्री ने बताया कि सरकार ने निरीक्षण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन निरीक्षण व्यवस्था शुरू कर दी है। इससे उद्योगों पर जांच के दौरान होने वाले अड़चनें कम होंगी और व्यवसाय संचालित करने में आसानी होगी।

अधिकार और नियमों में बदलाव

  • अब कानून का उल्लंघन करने पर नियोक्ता अधिकतम जुर्माने का 50 प्रतिशत भुगतान कर उपशमन करा सकते हैं। इससे व्यवसायिक वातावरण में सुधार होगा और उद्योगों को अनावश्यक विवादों से राहत मिलेगी।
  • सभी संगठित और असंगठित क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था लागू होगी।
  • वेतन भुगतान की समय-सीमा को अनिवार्य कर दिया गया है।
  • ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन का प्रावधान किया गया है।
  • वेतन से कटौती की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई है।
  • सभी कर्मचारियों को वेज स्लिप देना अनिवार्य किया गया है।

सामाजिक सुरक्षा का विस्तार

सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत पहली बार प्लेटफार्म वर्कर्स को भी वैधानिक रूप से परिभाषित किया गया है। इनके कल्याण के लिए विशेष कोष का भी गठन किया जाएगा।

  • श्रमजीवी पत्रकारों के लिए ग्रेच्युटी पात्रता अवधि को पांच वर्ष से घटाकर तीन वर्ष किया गया है।
  • नागरिकों को राहत देते हुए निजी आवास निर्माण सीमा को बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है।
  • तीन अधिनियमों को मिलाकर नई औद्योगिक संबंध संहिता बनाई गई है। इसके तहत 300 से अधिक कर्मचारियों वाले उद्योगों में छंटनी या बंदी के लिए सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
  • अब, बिना 14 दिनों की पूर्व सूचना के किसी भी प्रकार की हड़ताल, तालाबंदी या अवकाश अवैध मानी जाएगी।
  • उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता के तहत 13 पुराने कानूनों को समाप्त कर एक एकीकृत ढांचा तैयार किया गया है। इसमें कारखाने, बागान, खदान, पत्रकारिता, भवन निर्माण व सेवा क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, कार्य घंटे और कार्यस्थल की उपयुक्तता संबंधी सभी प्रावधान शामिल हैं।
  • सभी संस्थानों को अपने श्रमिकों का वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण कर रिपोर्ट उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया है।

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