
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति सभापति सीपी राधाकृष्णन, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, सांसदगण, पूर्व सांसद तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शनिवार को संसद परिसर स्थित प्रेरणा स्थल पर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती- जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
पूर्व में राष्ट्रपति मुर्मु ने एक्स पर एक संदेश में लिखा, “सभी को झारखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान बिरसा मुंडा की इस धरती के प्रतिभाशाली और कर्मठ लोगों ने राज्य का और पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध यह राज्य देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है। यहां के जनजातीय समुदाय की समृद्ध लोक-कलाओं की देश-विदेश में प्रतिष्ठा है। यहां के शूरवीरों ने भारत माता की सेवा के अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। मेरी मंगलकामना है कि झारखंड प्रगति-पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहे तथा राज्य के सभी निवासियों का भविष्य उज्ज्वल हो।”
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने एक्स पर एक संदेश में लिखा, “महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा को आज उनकी जयंती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा 25 साल की अल्प अवधि के लिए जीवित रहे, लेकिन उन्होंने देशभक्ति की ऐसी आग जलाई जो आने वाली पीढ़ियों तक, यहां तक कि अगले 2,500 वर्षों तक भी जलती रहेगी। यह कहना उचित होगा कि आदमी आ सकते हैं, आदमी जा सकते हैं, लेकिन ‘धरती आबा’ और अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत हमेशा जारी रहेगी।“
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक्स पर संदेश में कहा, “स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय सेनानी, आदिवासी अस्मिता और स्वाभिमान के अमर प्रतीक धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि और देशवासियों को जनजातीय गौरव दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सीमित संसाधनों में रहते हुए भी उन्होंने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए जो साहसिक संघर्ष छेड़ा, वह विदेशी शासन के विरुद्ध एक प्रज्वलित क्रांति बनकर उभरा और पूरे देश में स्वतंत्रता की चेतना का विस्तार हुआ। शोषितों, वंचितों और आदिवासी समाज की आवाज बने बिरसा मुंडा जी ने अपने संकल्प, त्याग और अद्भुत नेतृत्व से असंख्य युवाओं में राष्ट्रीयता, आत्मगौरव और न्याय की लौ प्रज्वलित की। उनका जीवन राष्ट्र की सामूहिक स्मृति में सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा, हमें कर्तव्यनिष्ठा, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक गरिमा की ओर सतत अग्रसर होने का मार्ग दिखाता रहेगा।”
उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित, जनजातीय उत्थान व स्वाभिमान के लिए उनका अद्वितीय संघर्ष हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा। भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने उलगुलान (क्रांति) के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया, प्रतिरोध और स्वतंत्रता की प्रतीक बन गए। उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने राष्ट्रीय जागरूकता को जागृत किया। उनकी विरासत आज भी भारत के जनजातीय समुदायों द्वारा श्रद्धा और गर्व के साथ याद की जाती है।
वर्ष 2021 से, 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है, ताकि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को सम्मानित किया जा सके। जनजातीय समुदायों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्होंने अनेक क्रांतिकारी आंदोलनों के माध्यम से अपना योगदान दिया। यह दिन उनके समृद्ध इतिहास, संस्कृति और धरोहर का उत्सव है। इसके जरिए देशभर में उनके योगदान को एकजुटता, गर्व और सम्मान प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।














