ड्रैगन को झटका देने की तैयारी! परमाणु रिएक्टर बनाने जा रहा भारत, अमेरिका की इस कंपनी से मिलाया हाथ

भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो रही है. अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने होल्टेक इंटरनेशनल को भारत में परमाणु रिएक्टर डिजाइन और निर्माण की मंजूरी दे दी है. यह स्वीकृति भारत और अमेरिका के बीच 2007 में हुए नागरिक परमाणु समझौते का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिससे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) तकनीक को भारत में विकसित करने का रास्ता खुल गया है. इस कदम से चीन को झटका लग सकता है.

करीब 20 सालों के लंबे इंतजार के बाद, भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के तहत अमेरिकी कंपनी को भारत में रिएक्टर निर्माण की अनुमति मिली है. 26 मार्च को अमेरिकी सरकार से मिली इस ऐतिहासिक मंजूरी के बाद अब Holtec भारत में न्यूक्लियर रिएक्टरों का निर्माण और डिजाइन कर सकेगी. यह फैसला भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम है. 

तीन कंपनियां करेगी काम

अमेरिका के “10CFR810” कानून के तहत Holtec को भारत की तीन कंपनियों, होल्टेक एशिया, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ SMR तकनीक साझा करने की अनुमति दी गई है. Holtec की भारत में पहले से ही पुणे और दहेज (गुजरात) में मौजूदगी है. इस नई तकनीक से भारत में आधुनिक परमाणु संयंत्रों का निर्माण आसान होगा और ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी होगी.

कई और कंपनियां होंगी शामिल

होल्टेक ने NPCIL, NTPC और एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (AERB) को भी इस सहयोग में शामिल करने की अनुमति मांगी थी. हालांकि, भारत सरकार ने गैर-प्रसार (non-proliferation) सुरक्षा उपायों को देखते हुए अभी इसकी मंजूरी नहीं दी है. लेकिन भविष्य में इन सरकारी कंपनियों को शामिल करने के लिए समझौते में संशोधन संभव है, जिससे भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में और तेजी आ सकती है. 

भारत देगा शांतिपूर्ण सहयोग

इस सहयोग की एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि भारत को यह गारंटी देनी होगी कि Holtec से मिलने वाली तकनीक केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही उपयोग होगी. भारत इस तकनीक का परमाणु हथियारों या सैन्य उद्देश्यों में उपयोग नहीं कर सकता. साथ ही, Holtec को हर तिमाही अमेरिकी सरकार को रिपोर्ट देनी होगी, जिससे तकनीक के उपयोग पर निगरानी बनी रहे.

देश को मिलेगी नई ऊर्जा क्षमता

भारत अभी 220MWe PHWRs (प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर) पर निर्भर है, जबकि वैश्विक स्तर पर PWRs (प्रेशराइज्ड वॉटर रिएक्टर) अधिक लोकप्रिय हो चुके हैं. Holtec की SMR तकनीक अपनाने से भारत अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ा सकता है और वैश्विक बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बन सकता है. इसके अलावा, भारत में SMR निर्माण के लिए स्थानीय कंपनियों को नए अवसर मिलेंगे, जिससे नौकरी के अवसर भी बढ़ेंगे.

चीन को टक्कर देने का है प्लान

चीन वर्तमान में SMR तकनीक को वैश्विक बाजार में बढ़ावा दे रहा है और इसे राजनयिक शक्ति के रूप में उपयोग कर रहा है. भारत और अमेरिका के लिए चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए मिलकर काम करना जरूरी है. Holtec ने संकेत दिया है कि अगर भारत में SMR निर्माण को अनुमति दी जाती है, तो गुजरात के दहेज प्लांट में कर्मचारियों की संख्या दोगुनी हो सकती है, जिससे स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा.

भारत के परमाणु कानूनों में बदलाव की जरूरत

भारत में निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन की अनुमति देने के लिए 1962 के एटॉमिक एनर्जी एक्ट में संशोधन आवश्यक होगा. इसके अलावा, 2010 में लागू किए गए सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट को भी बदलने की जरूरत है, क्योंकि यह विदेशी कंपनियों के निवेश में एक बड़ी रुकावट है. यदि इन कानूनी बाधाओं को हल कर लिया जाता है, तो Holtec और अन्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में निवेश करने को तैयार हो सकती हैं.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

मुखवा में पीएम मोदी ने की गंगा पूजा अंसल एपीआई पर कार्रवाई : पिता – पुत्र समेत 5 पर मुकदमा दर्ज ट्रंप ने भारत , चीन समेत देशों पर उच्च शुल्क लगाने का किया ऐलान परिजनों ने कहा – सचिन तो सिर्फ मोहरा , कत्ल के पीछे कोई ओर रूम पर चलो नहीं तो नौकरी छोड़ : नर्सिंग ऑफिसर की पिटाई