
अहंकार और अत्याचार के खिलाफ सत्य की लड़ाई में भगवाधारी को झंडाबरदार बनाया गया है, जबकि सेनापति जामवंत की तरह उत्साह बढ़ाने वाले सलाहकार तेज-तर्रार अधिवक्ता सेना के महारथी नल-नील, अंगद को मोर्चे पर मुस्तैद किये हैं। संकटमोचक हनुमान के पास कानूनी साक्ष्यों का ब्रह्मास्त्र मौजूद है। दरबार से नाराज विभीषण तमाम भेद खोलने के लिए व्याकुल है। सौम्य, किंतु रणचंडी की गर्जना दुश्मन सेना को भयभीत करने के लिए काफी है। साकेत दरबार के सताए पीड़ितों ने गुरुवार को साझा मंच पर हाथ मिलाया और एकस्वर में ऐलान किया कि, रावण की सोच और चरित्र-हरण के लिए दुःशासन जैसी हरकत करने वाले के खिलाफ विजय-दशमी से आर-पार का युद्ध शुरू होगा।
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। साकेत दरबार के मुखिया अखिलेश दुबे के पीड़ितों के चेहरे पर कतई खौफ नहीं है। कनपुरियों के हीरो पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार की विदाई के बाद अत्याचार की नई कहानी गढ़ने का मंसूबा रखने वालों के मुंह पर साझा मंच के जरिए जबरदस्त तमाचा मारा गया है। नारी अस्मिता ने दहाड़कर चरित्र-हरण करने वाले दुःशासन का कानून के जरिए वध का संकल्प उठाया। सत्य-युद्ध के अगुवा भगवाधारी ने मायावी राक्षस को पीड़ितों की वानर-सेना जुटाकर यमलोक पहुंचाने की सौगंध दोहराई है। साझा मंच ने स्वीकार किया कि, मुमकिन है कि, दुश्मन कानून का ज्ञानी है, मुमकिन है कि सोने की लंका का मालिक है, मुमकिन है कि, देवताओं की तरह खाकी वर्दी को बंधक बनाया होगा। बावजूद अंतिम सत्य यही है कि, विजय-दशमी पर नारी अस्मिता पर हाथ डालने वाले अत्याचारी-अहंकारी का वध हुआ था।
विदाई के साथ नई गाथा लिखेंगे रणबांकुरे
दरअसल, मौजूदा पुलिस कमिश्नर की शहर से विदाई करीब है। ऐसे में साकेत दरबार के शागिर्दों ने बेसिर-पैर की कहानी गढ़ते हुए दावा किया कि, भैया जल्दी बाहर आएंगे, फिर एक-एक हिसाब निबटाया जाएगा। अतीत के किस्सों ने मोर्चाबंद किरदारों को तनिक डराया, लेकिन प्रभु श्रीराम की सेना के सेनापति जामवंत की तरह पीड़ितों के साथ मजबूत सलाहकार के रूप में अधिवक्ता राकेश तिवारी और मनोज सिंह मौजूद थे। सलाह गूंजी कि, संघे शक्ति कलियुगे…. । मंत्र ने असर दिखाया और विदाई के फरमान से पहले पीड़ितों ने एकजुट होकर पुलिस कमिश्नर को संदेश भेजा कि, सर आपने राह दिखाई है, हम विजयश्री की गाथा लिखेंगे। इस युद्ध में संकटमोचन हनुमान की तरह काले कारनामों के साक्ष्यों की झोली लेकर पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र और आरटीआई कार्यकर्ता सौरभ भदौरिया भी मौजूद हैं
खूब दहाड़ी नारी अस्मिता प्रज्ञा त्रिवेदी
सोलह बरस से अखिलेश दुबे के खिलाफ मोर्चा संभाले साकेत दरबार की पड़ोसी प्रज्ञा त्रिवेदी साझा मंच से खूब दहाड़ी। ऐलान किया कि, दूसरों की जमीन-जायदाद को हड़पने वाला रावण कलियुग में दुःशासन की सोच के कारण चरित्र-हरण पर आमादा है। प्रज्ञा के होटल को हड़पने के लिए अखिलेश दुबे ने अश्लील साहित्य छापने-बांटने का दुस्साहस किया था। ऐलान किया कि, विजय-दशमी के मुहूर्त से दस सिर वाले दुःशासन का कानून के जरिए वध के लिए युद्ध छेड़ा जाएगा। उन्होंने पीड़ा जताई कि, अहंकार और अत्याचार की तमाम कहानियां सामने आने के बावजूद, शहर के जनप्रतिनिधियों को पीड़ितों के साथ खड़े होने से परहेज है।
आशीष ने सुनाई कुंभकरण-मेघनाद की कहानी
साझा मंच के अहम किरदार आशीष शुक्ला ने कुंभकरण-मेघनाद की कहानी सुनाते हुए कहाकि, अखिलेश दुबे के करीबी भूपेश अवस्थी और रोहित अवस्थी ने कॉलेज के लिए आवंटित जमीन को पार्क बनाकर कब्जा करने का प्रयास किया। दावा किया कि, पार्क को रखरखाव के लिए नगर निगम और केडीए सिंडिकेट की मदद से हथियाने के बाद स्कूल और गेस्टहाउस बनाने की तस्वीर किशोरी वाटिका और तेजाबमिल कैंपस में नजर आती है। आशीष ने कहाकि, माफिया के खिलाफ लड़ाई में पिता लल्ला शुक्ला और पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र ने हनुमान की तरह संकटमोचक बनकर साथ दिया।
विभीषण की तरह दुलारा बनेगा मनोहर
त्रेतायुग में विभीषण नहीं होता तो रावण का अंत कैसे होता। सियासी और खाकी संरक्षण के अमृत की जानकारी किसी वक्त दरबार से जुड़े मनोहर शुक्ला से ज्यादा किसे होगी। अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई तो दरबार ने दुत्कार दिया। ऐसे में सत्य-युद्ध के लिए दरबार की खिलाफत का झंडा थाम लिया। अब साक्ष्यों की पोटली और संरक्षण के अमृत की नाभि के बारे में पग-पग पर जानकारी मुहैया कराने वाले मनोहर शुक्ला भी लड़ाई में मजबूत किरदार हैं। दावा किया कि, अखिलेश दुबे के करीबी क्षेत्राधिकारी ऋषिकांत शुक्ला की काली कमाई और काले कारनामों के साक्ष्यों का पिटारा मौजूद है।