मध्यप्रदेश भाजपा में बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी, नई टीम में युवाओं और महिलाओं को मिलेगा स्थान

मध्यप्रदेश भाजपा में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया तेज हो गई है। हाल ही में नियुक्त किए गए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को पार्टी नेतृत्व ने अपनी नई कार्यकारिणी गठित करने की पूरी छूट दे दी है। खंडेलवाल अब प्रदेशभर से सक्रिय, अनुभवी और समर्पित कार्यकर्ताओं को शामिल कर एक नई और प्रभावी टीम तैयार करेंगे।

एक व्यक्ति, एक पद नीति लागू

पार्टी की नीति के तहत “एक व्यक्ति, एक पद” सिद्धांत को पूरी तरह लागू किया जाएगा। इसका मतलब है कि जो नेता पहले से सांसद, मंत्री या विधायक हैं, उन्हें अब संगठनात्मक जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाएगा। वर्तमान कार्यकारिणी में 7 सांसद, 1 कैबिनेट मंत्री और 6 विधायक विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं, जिन्हें नई टीम में शामिल नहीं किया जाएगा।

नए और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को मौका

भाजपा की रणनीति है कि संगठनात्मक दायित्व अब उन कार्यकर्ताओं को दिए जाएं जो पूर्णकालिक रूप से संगठन के कार्यों में सक्रिय हैं और जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत है। इस बार कई नए, कम चर्चित लेकिन प्रभावशाली चेहरे प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान पा सकते हैं। साथ ही, नई टीम में युवाओं, महिलाओं और सामाजिक रूप से विविध वर्गों का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया जाएगा।

मोर्चा संगठनों में भी बदलाव तय

भाजपा के सात मोर्चा संगठनों में से तीन की कमान फिलहाल सांसदों के हाथ में है और एक मोर्चा एक मंत्री के पास है। लेकिन संसदीय और मंत्री पद की व्यस्तताओं के चलते इन नेताओं की सक्रियता में कमी आई है।

  • महिला मोर्चा की अध्यक्ष माया नारोलिया राज्यसभा सांसद बनने के बाद सीमित रूप से सक्रिय हैं।
  • किसान मोर्चा प्रमुख दर्शन चौधरी भी अब सांसद हैं।
  • ओबीसी मोर्चा के प्रभारी वर्तमान में प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।
  • खुद मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने पार्टी से मोर्चे की जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह किया है।
    इन परिस्थितियों में मोर्चा संगठनों में भी नई नेतृत्व टीम बनाई जाएगी।

दिल्ली से मिली हरी झंडी

प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने हाल ही में दिल्ली जाकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की, जहां उन्हें कार्यकारिणी के पुनर्गठन को लेकर पूर्ण समर्थन मिला है। अब माना जा रहा है कि अगले एक महीने में नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी, जिसमें अनुभवी और युवा नेताओं का संतुलन देखने को मिलेगा।

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