कमर तोड़ नीति की तैयारी : पाई-पाई को तरसेगा पाकिस्तान…भारत का चाणक्य वार शुरू

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया को तेज करते हुए दो अहम कदमों पर विचार शुरू कर दिया है. इनका उद्देश्य पाकिस्तान को मिलने वाली उस आर्थिक सहायता को रोकना है, जिसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में किया जाता है. सूत्रों के अनुसार, भारत का पहला कदम यह हो सकता है कि वह वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के ‘ग्रे लिस्ट’ में पाकिस्तान को दोबारा शामिल कराने की कोशिश करे.

पाकिस्तान जून 2018 से अक्टूबर 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में था. इस दौरान उसे “बढ़ी हुई निगरानी” का सामना करना पड़ा, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और पूंजी प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. FATF की ग्रे लिस्ट में आने से कंपनियों को वहां निवेश से पहले सख्त जांच पड़ताल करनी होती है. भारत सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस सूची में होने से पाकिस्तान से भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर में, होने वाली अवैध फंडिंग में कमी आई थी. इसलिए अब फिर से इस कदम को उठाने की योजना बनाई जा रही है ताकि आतंकी गतिविधियों पर आर्थिक चोट दी जा सके. 

भारत का दूसरा अहम कदम यह हो सकता है कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे $7 अरब के सहायता पैकेज पर आपत्ति दर्ज कराए. यह सहायता जुलाई 2024 में शुरू हुई थी. सूत्रों का कहना है कि भारत का आरोप है कि पाकिस्तान इस फंड का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों और नापाक उद्देश्यों के लिए कर रहा है.

क्या चाहता है भारत?

भारत चाहता है कि पाकिस्तान को दोबारा FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला जाए, लेकिन इसके लिए एक औपचारिक नामांकन प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें अन्य सदस्य देशों का समर्थन आवश्यक है. एक अधिकारी ने बताया कि आर्थिक मोर्चे पर क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर चर्चा हुई है. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की मांग FATF में उठाई जा सकती है. सदस्य देश इस मुद्दे को उठाने का प्रस्ताव रख सकते हैं, जिसे FATF की प्लेनरी बैठक में मंजूरी दी जा सकती है. 

कब होगी FATF की प्लेनरी बैठक?

FATF की प्लेनरी बैठक, जो कि संस्था की निर्णय लेने वाली मुख्य इकाई है, साल में तीन बार- फरवरी, जून और अक्टूबर में होती है. किसी देश को ग्रे लिस्ट में डालने का नामांकन उसके मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग (TF), या जनसंहारक हथियारों के प्रसार से जुड़े जोखिमों के आधार पर किया जाता है. FATF के 40 सदस्य देश हैं, और 200 से अधिक क्षेत्राधिकार इसके दिशा-निर्देशों को अपनाते हैं, जिनमें क्षेत्रीय निकाय शामिल हैं जिन्हें FATF-स्टाइल रीजनल बॉडीज कहा जाता है. इस दिशा में भारत के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि वह पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटाए.

23 देश क्या रहेंगे साथ?

हालांकि, एक सकारात्मक संकेत यह है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को 23 FATF सदस्य देशों से शोक संदेश प्राप्त हुए हैं, जिनमें ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय आयोग, और सऊदी अरब व UAE जैसे खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के प्रमुख देश शामिल हैं. पाकिस्तान FATF का सदस्य नहीं है, लेकिन यह एशिया पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग (APG) का हिस्सा है, जो सबसे बड़ी FATF-स्टाइल रीजनल बॉडी है. भारत FATF और APG दोनों का सदस्य है. 

IMF बैठक में पाक के खिलाफ आपत्तियां उठाने की तैयारी

भारत अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की आगामी मई में होने वाली बोर्ड बैठक में भी पाकिस्तान के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने पर विचार कर रहा है. जुलाई 2024 में IMF ने पाकिस्तान के साथ तीन वर्ष की $7 अरब सहायता योजना (Extended Fund Facility – EFF) पर समझौता किया था. यह 37 महीने का कार्यक्रम छह प्रदर्शन समीक्षाओं (reviews) में विभाजित है. अगली क़िस्त, लगभग $1 अरब की राशि, तब जारी होगी जब पाकिस्तान समीक्षा में सफल होगा. भारत इस पर आपत्ति दर्ज कर सकता है कि पाकिस्तान इस फंड का दुरुपयोग आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों में कर रहा है.

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