प्रयागराज: गंगा, यमुना ने खतरे के निशान को किया पार, हजारों घर जलमग्न

  • दो दर्जन से अधिक मुहल्लों के हजारों घर जलमग्न हो गए

प्रयागराज: गंगा, यमुना उफान पर है। नदियों ने शनिवार को सुबह खतरे के निशान को पार कर दिया है। गंगा और यमुना के किनारे के दो दर्जन से अधिक मुहल्लों के हजारों घर में पानी भर गए हैं। घर में पानी भरने से लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरफ की टीमें भी नाव से बचाव कार्य में जुटी हैं।

नैनी में बीते दिनों से गंगा यमुना के बढ़ रहे जलस्तर के असर अपनी कछारी बस्तियों में दिखाई पड़ने लगा। यमुना के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण शुक्रवार की सुबह कछारी बस्ती में पानी पहुंच गया। लोगों के पक्के मकान में पानी घुसने लगा तो वह अपनी गृहस्थी समेट कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने लगे। लगातार बड़े पानी की वजह शनिवार की स्थिति और भी भयावह हो गई। इसकी जानकारी लोगों ने तहसील प्रशासन को दी है। वहीं अभी तक यहां पर बाढ़ को लेकर केाई राहत शिविर संचालित नहीं किया गया है। इसके कारण बाढ़ प्रभावित अपने परिचितों के यहां डेरा डाल रहे है।

बता दे कि नैनी महेवा पहलवान बाबा चौराहे के पास महाकुंभ के पहले पक्के घाट का निर्माण कराया गया था। घाट के पास ही कछार में पुरानी बस्ती बसी हुई है। यहां के सैकड़ों ऐसे मकान है जो हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाते है। वहीं धीरे-धीरे लोगों ने यहां कई घरों बनवा लिए हैं। बस्ती के लोगों ने बताया कि शुक्रवार सुबह पानी बस्ती में घुस गया। बाढ़ से इस बस्ती के लगभग साठ से अधिक मकानों में पानी पहुंच गया है। लगातार बढ़ रहे पानी के कारण शनिवार को डेढ़ सौ से अधिक मकान प्रभावित हुए हैं। कई मकान ऐसे थे जिनमें तीन से चार फीट तक बाढ़ का पानी भर गया।

लोग अपनी गृहस्थी समेट कर सुरक्षित स्थान पर पहुंच रहे है। तो कई लोग अपनी छतों पर गृहस्थी समेट लिए है। लोगों का कहना है कि यदि जलस्तर में इसी तरह वृद्धि होती रही तो अन्य घर भी बाढ़ की चपेट में आए जाएंगे। महेवा में रहने वाले पूर्व बीडीसी सदस्य व समाजसेवी निरंजन निषाद, शुभम निषाद, संदीप निषाद, मानू यादव, मन्नू निषाद ने बताया कि हर साल बाढ़ में यह बस्ती चपेट में आती है। यह पुरानी बस्ती है। महाकुंभ के दौरान यहां पर बंधा रोड़ बनाने की मांग की गई थी, लेकिन उसका निर्माण नहीं हो सका। अभी बस्ती में रहने वाले बाढ़ पीड़ितों के लिए आस-पास कोई बाढ़ राहत चौकी या बाढ़ राहत शिविर नहीं संचालित किया गया है।

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