Prayagraj : डीएम साहब! बेलहट क्रशर प्लांट में खत्म वैधता के बावजूद कैसे जारी है ब्लास्टिंग?

Koraon, Prayagraj : कोरांव तहसील क्षेत्र के बेलहट, मंगलापुरी, पसना में कई वर्षों से संचालित हो रहे क्रशर प्लांट और लीज क्षेत्र में हो रही ब्लास्टिंग से आसपास के जंगली जानवर और पशु-पक्षी पलायन कर रहे हैं। दूसरी ओर वन विभाग और ग्रामीणों द्वारा लगाए गए पेड़-पौधों का विकास भी पर्यावरण दूषित होने के कारण नहीं हो पा रहा है।

आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि घरों की छतों में दरारें आ रही हैं और किसानों की फसलें भी नष्ट हो रही हैं। कुछ ही दूरी पर स्थित अटल आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। वहीं लीज क्षेत्र के पास बनी बेलहट अस्थायी गौशाला में रह रहे गौवंश भी भयभीत हैं, उन पर पत्थर के टुकड़े गिरते रहते हैं।

खनन और परिवहन के कारण जहाँ एक ओर संलिप्त लोग मालामाल हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अपूर्णीय क्षति हो रही है। ओवरलोड वाहनों के आवागमन से कुछ समय पहले बनी सड़कों का भी हाल खराब हो चुका है। ब्लास्टिंग कर लगभग डेढ़ सौ फीट गहरी खाई बना दी गई है, लेकिन सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं किया गया है। इससे जंगली जानवरों और आम लोगों के लिए खतरा बना हुआ है।

इसके बावजूद आला अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं या फिर किसी दबाव में होने के कारण कार्रवाई से कतरा रहे हैं। वहीं मौके पर मौजूद मजदूरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हर हफ्ते दिन में लगभग 10 से 11 बजे के बीच ब्लास्टिंग की जाती है। इसके लिए मजदूरों के अलग-अलग कार्य तय रहते हैं। जबकि खान विभाग अपनी रिपोर्ट में लिख रहा है कि ब्लास्टिंग नहीं हो रही है।

पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र की वैधता समाप्त हो चुकी है। आसपास की बस्तियों के लोग प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। नियमित पानी छिड़काव के निर्देश भी दिए गए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता पंडित महेंद्र प्रसाद शुक्ला ने कहा कि यदि जिम्मेदार अधिकारी जल्द कार्रवाई नहीं करेंगे, तो इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की जाएगी।

प्रेषित आख्या में लिखा खान विभाग ने

एक व्यक्ति द्वारा भारत सरकार के पीजी पोर्टल के माध्यम से जनहित की समस्या को देखते हुए शिकायत की गई थी। खान विभाग ने अपनी आख्या में उल्लेख किया है कि बेलहट में तीन क्रशर प्लांट संचालित हैं। आख्या में यह भी बताया गया है कि पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र की वैधता खत्म होने के कारण यह लगभग एक वर्ष से बंद हैं और ब्लास्टिंग का कार्य भी बंद बताया गया है।

खदान से 500 मीटर की दूरी पर क्रशर प्लांट स्थित हैं, जहाँ पत्थर बोल्डर क्रशिंग का कार्य मात्र किया जा रहा है। क्रशर प्लांट से परिवहन करने वाले वाहनों से उठने वाली धूल से आसपास की बस्तियाँ प्रभावित हो रही हैं इस बात की पुष्टि जांच आख्या में की गई है।

प्रदूषण विभाग ने क्रशर प्लांट संचालकों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है। साथ ही आने-जाने वाले मार्ग पर नियमित पानी छिड़काव करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि आसपास का वातावरण संतुलित बना रहे।

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