
भास्कर ब्यूरो
प्रयागराज। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता के दलदल में फंसा विकासखंड शंकरगढ़ सुधार की राह से कोसों दूर है। यहां मनरेगा, गौशालाएं और हर सरकारी योजना ‘रेट सिस्टम’ की भेंट चढ़ चुकी हैं। इस बीच मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हर्षिता सिंह का औचक निरीक्षण जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।
बता दें कि 76 ग्राम पंचायतों में से सिर्फ गाढ़ा कटरा का दौरा कर लौटने से क्षेत्रवासियों में रोष है। लोग पूछ रहे हैं, क्या एक पंचायत का निरीक्षण ही भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर कर पाएगा, जबकि अधिकांश पंचायतें फर्जीवाड़े और लूट का अड्डा बनी हुई हैं? आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी संगठित रूप से ग्राम सभाओं को खोखला कर रहे हैं। क्षेत्रवासी मांग कर रहे हैं कि सीडीओ पूरे ब्लॉक का गहन निरीक्षण करें और भ्रष्टाचारियों पर कठोर कार्रवाई करें।
इससे पूर्व 11 अप्रैल को तत्कालीन सीडीओ गौरव कुमार के निरीक्षण में शंकरगढ़ की अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की पोल खुली थी। मगर उनके तबादले के बाद भ्रष्ट तंत्र ने फिर जोर पकड़ा। अब सवाल उठता है कि क्या सीडीओ हर्षिता सिंह इस बार कोई बदलाव लाएंगी, या यह दौरा भी पुरानी कहानी दोहराएगा?
सीडीओ हर्षिता सिंह ने बताया कि वह शंकरगढ़ ब्लॉक के निरीक्षण के साथ-साथ पानी की समस्या देखने आई हैं। गर्मियों में पेयजल समस्या से निपटने के लिए दो टैंकर चल रहे हैं और मजरों में 9 टैंकर और उपलब्ध हैं, सीएसआर से 20 टैंकरों की और मांग की गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पानी की किल्लत नहीं होगी। लेकिन जनता का कहना है कि सिर्फ पानी की व्यवस्था काफी नहीं, भ्रष्टाचार और लापरवाही पर भी लगाम जरूरी है।