
- मूल प्रजाति की मछलियों के लिए खतनाक है मांसाहारी घड़ियाल जैसी मुंह वाली एलिगेटर मछली
- मछुआरों के जाल में फंसी एलिगेटर क्षेत्र में चर्चा का विषय
प्रयागराज। नैनी क्षेत्र में मिली उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली मांसाहारी मछली एलीटगेटर प्रयागराज के लावायन कला कछार में मछुआरों के जाल में फंस गई। लगभग ढाई से तीन फिट लंबी यह मछली मिलने से क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी रही। यह मछली का मुंह घड़ियाल जैसे था। हालांकि मछली जाल में फंसने से मर गई। अमेरिका में पाई जाने वाली मछली गंगा में कैसे पहुंची यह चर्चा का विषय रहा।
औद्योगिक क्षेत्र के लवायन कला कछार में गंगा नदी से कुछ मछुआरे जाल लगाकर मछली मार रहे थे। उसी में एक लगभग ढाई से तीन फिट लंबी एलिगेटर मछली उसमें फंस गई। घड़ियाल जैसे मुंह वाली मछली जाल में फंसने से लोगों में चर्चा का विषय बन गया। जब मछुआरों ने इसकी जानकारी की तो पता चला यह मछली की प्रजाति उत्तरी अमेरिका एवं भारत एक दो स्थानों जैसे झील आदि में पाई जाती है। वहां पाई जाने वाली मछली गंगा में कैसे पहुंची यह कौतूहल का विषय रहा। जानकार बताते है कई यह मछली मूल प्रजाति की मछलियों के लिए खतरनाक है। क्योंकि यह मांसाहारी होती ही है। अगर उसकी ज्यादा तादात बढ़ गई तो यह सामान्य मछलियों को खुद खाकर खत्म कर देगी।
यह एलिगेटर मछली मांसाहारी होती है। यह मूल यह कह लीजिए सामान्य प्रजाति के लिए खतरनाक है। यह सामान्य मछलियों को खा जाती है। भारत में यह नहीं पाई जाती। उनकी संख्या ज्यादा होने से सामान्य मछलियों के लिए खतरनाक है। संभवतः इसे कोई विदेश से लाकर एक्यूरियम में रखा होगा, बड़ी होने पर आसपास के नदी में फेंक दिया होगा।