
Pratapgarh : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में शुक्रवार तड़के एक हृदयविदारक घटना ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। फतनपुर थाना क्षेत्र के कोयम गांव में 55 वर्षीय इंद्रदेव सरोज का शव नीम के पेड़ पर फंदे से लटकता पाया गया। उनके घर की दीवार पर कोयले से लिखा एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने दो बेटों, कल्लू और धर्मेंद्र, को ठहराया। इस नोट ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से सुसाइड नोट की सत्यता की पड़ताल की जा रही है।
घटना का विवरण: सुबह की सन्नाटे में चीख-पुकार
घटना शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 की तड़के सुबह की है, जब कोयम गांव में सन्नाटा चीख-पुकार में बदल गया। सुबह करीब 4:30 बजे, जब इंद्रदेव के परिजन पशुओं को चारा देने के लिए उठे, तो उन्होंने घर के पास नीम के पेड़ पर एक शव लटकता देखा। नजदीक जाने पर पता चला कि यह शव इंद्रदेव सरोज का था। परिजनों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण मौके पर जमा हो गए, और पूरे गांव में सनसनी फैल गई।
घर की दीवार पर कोयले से लिखा एक संदेश मिला, जिसमें लिखा था, “मेरी मौत के जिम्मेदार कल्लू, धर्मेंद्र…”। यह संदेश देखकर परिजन और ग्रामीण हैरान रह गए। यह संदेश इंद्रदेव ने स्वयं लिखा या किसी और ने, इसकी सत्यता की जांच के लिए पुलिस ने फोरेंसिक टीम को बुलाया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई: फोरेंसिक जांच और साक्ष्य संग्रह
सूचना मिलते ही फतनपुर थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस ने शव को पेड़ से उतारकर कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम के लिए मॉर्च्युरी भेज दिया। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और दीवार पर लिखे संदेश सहित अन्य साक्ष्यों को एकत्र किया। फतनपुर थाना प्रभारी ने बताया कि सुसाइड नोट की लिखावट की जांच के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है ताकि यह पुष्टि हो सके कि नोट वास्तव में इंद्रदेव ने लिखा था।
पुलिस अधीक्षक, प्रतापगढ़ ने कहा, “यह एक संवेदनशील मामला है, और हम इसे पूरी गंभीरता से ले रहे हैं। फोरेंसिक जांच, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और परिवार व गवाहों से पूछताछ के आधार पर मौत के कारणों का पता लगाया जाएगा। हम यह भी जांच रहे हैं कि क्या कोई साजिश या बाहरी दबाव इस घटना के पीछे है।”
इंद्रदेव का पारिवारिक जीवन: विवादों का साया
जानकारी के अनुसार, इंद्रदेव सरोज अपने बेटों विजय, धर्मेंद्र और कल्लू तथा बेटी अंतिमा के साथ कोयम गांव में रहते थे। वे खेती और पशुपालन का काम करते थे। पिछले पांच दिनों से वे कल्लू, धर्मेंद्र, महेंद्र और पंकज तिवारी के घर पर रह रहे थे, जहां वे खाना-पीना और पशुओं की देखभाल कर रहे थे। ग्रामीणों के अनुसार, इंद्रदेव का अपने बेटों, विशेषकर कल्लू और धर्मेंद्र, के साथ पारिवारिक विवाद चल रहा था। संपत्ति और पारिवारिक जिम्मेदारियों को लेकर अक्सर तनाव की स्थिति बनी रहती थी। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि इंद्रदेव आर्थिक तंगी और पारिवारिक अनबन से मानसिक तनाव में थे।
हालांकि, पुलिस ने अभी तक इन दावों की पुष्टि नहीं की है और सभी पहलुओं की जांच कर रही है। पुलिस ने इंद्रदेव के बेटों, कल्लू और धर्मेंद्र, से पूछताछ शुरू की है ताकि यह समझा जा सके कि उनके बीच विवाद की गहराई क्या थी और क्या यह आत्महत्या का कारण बना।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आयाम
इंद्रदेव की आत्महत्या न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह समाज में बढ़ते पारिवारिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही को भी उजागर करती है। मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों का कहना है कि पारिवारिक कलह, आर्थिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाएं अक्सर लोगों को मानसिक तनाव की ओर धकेलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे आत्महत्या जैसे चरम कदम उठा लेते हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए परिवारों में खुला संवाद, परस्पर सहयोग और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
गांव में मातम, ग्रामीणों की मांग
इंद्रदेव की मौत ने कोयम गांव में शोक की लहर दौड़ा दी है। उनकी बेटी अंतिमा और परिवार के अन्य सदस्य इस सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। ग्रामीण इस बात से आहत हैं कि एक पिता को अपने बेटों के खिलाफ ऐसा कदम उठाने की नौबत क्यों आई। कई ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच हो ताकि सच्चाई सामने आए। कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या परिवार के भीतर कोई गहरी साजिश थी, जिसने इंद्रदेव को इस दुखद निर्णय तक पहुंचाया।
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