दर्द का `पोस्टमार्टम`…चौखट पर हाजिरी नहीं लगाई, इसलिए हुजूर नाराज

– प्रकाश शर्मा ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ जहर उगला

– पार्टी फोरम से बाहर मीडिया से चर्चा करने के बाद अनुशासनहीनता की तलवार लटकी

– चिट्ठी वायरल कैसे हुई, इस तथ्य की जांच के बाद दोषी के खिलाफ सख्त एक्शन

भास्कर ब्यूरो

कानपुर। उम्मीदवारी तय होने के 21 दिन बाद भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ भाजपा के वरिष्ठ नेता की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चिट्ठी से कानपुर की सियासत में भूचाल आ गया है। चिट्ठी के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। राजनीति के गड़े मुर्दे उखाड़ने में पक्ष-विपक्ष के धुरंधर जुटे हुए हैं। चिट्ठी लिखने वाले हैं बजरंग दल के भूतपूर्व राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश शर्मा के दर्द का पोस्टमार्टम किया गया तो आरोप मढ़ा गया कि तीन सप्ताह निकल गए, लेकिन प्रत्याशी ने अभी तक चौखट पर वजनदार हाजिरी नहीं लगाई है, इसलिए हुजूर नाराज हैं। प्रकाश का कहना है कि समय रहते सचेत किया है, कोई अपराध नहीं किया है। शब्द-बाण के बीच पार्टी ने मामले को गंभीरता से लिया है। चुनावी माहौल खराब करने के जुर्म में प्रकाश शर्मा पर अनुशासनहीनता की तलवार लटक रही है। एक्शन से पहले पार्टी यह देखिए कि आखिर प्रकाश शर्मा की 16 अप्रैल को लिखी चिट्ठी सपा विधायक अमिताभ बाजपेई के पास कैसे पहुंची।

फोन पर चर्चा तमाम, देहरी तक नहीं पहुंचे

चिट्ठी वायरल होने के बाद भाजपा उम्मीदवार रमेश अवस्थी के करीबियों ने सनसनीखेज आरोप लगाया है। चूंकि अभी चुनाव मैनेज करना है, इसलिए ऑफ द रिकॉर्ड कहा गया कि मैंगो पार्टी में शामिल होते वक्त अपनापन रहता था, लेकिन टिकट मिलने के बाद हाजिरी लगाने के लिए उनकी देहरी तक नहीं पहुंच पाए तो विरोधियों की कठपुतली बनकर चिट्ठी लिखकर अपने चेलों के जरिए सपा विधायक अमिताभ बाजपेई के पास भेजकर तमाशा खड़ा कर दिया। रमेश अवस्थी की टीम के सक्रिय सदस्य और केंद्रीय चुनाव कार्यालय की संचालन समिति के सदस्य ने कहाकि `वजनदार` हाजिरी लगाते तो आज चिट्ठी के बजाय जिताऊ प्रत्याशी बताते हुए घूमते नजर आते।

25 तक इंतजार, फिर चुनाव में सक्रियता

चिट्ठी कांड को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रकाश शर्मा कहते हैं कि कोई अपराध नहीं किया है। प्रत्याशी को लेकर कार्यकर्ताओं की भावना से प्रधानमंत्री को अवगत कराना अपराध नहीं है। समय रहते चेताया है, बावजूद नामांकन वापसी की तारीख 25 अप्रैल तक फैसला नहीं बदलेगा तो मौजूदा प्रत्याशी के साथ चुनाव में जुट जाएंगे। श्री शर्मा ने कहाकि लगातार तीन चुनाव हारने के बाद कोई जिम्मेदारी लेने को सामने नहीं आया था। ऐसे में कुछ ऊंच-नीच महसूस होने पर पहले आगाह कराना बेहतर लगा तो किया। चिट्ठी वायरल कैसे हुई, इस सवाल पर प्रकाश शर्मा ने कहाकि – मुझे नहीं मालूम, यह तो वही लोग बताएं जो अनुशासनहीनता का आरोप मढ़ रहे हैं।

पार्टी आलाकमान नाराज, सख्त कार्रवाई का संकेत

चिट्ठी लिखने से ज्यादा उसे वायरल करने और फिर मीडिया के साथ चर्चा को लेकर भाजपा आलाकमान नाराज है। पार्टी के क्षेत्रीय पदाधिकारी ने कहाकि प्रत्याशी पर 20 दिन बाद सवाल उठाना तमाम संदेह पैदा करता है। पार्टी आलाकमान का कहना है कि अपनी बात कहने का सभी को अधिकार है, लेकिन चिट्ठी वायरल होने के बाद मीडिया के साथ चर्चा इशारा करती है कि चिट्ठी क्यों और किसके जरिए सपा विधायक तक पहुंची है। बहरहाल, इस मुद्दे पर पार्टी पहले चिट्ठी वायरल होने के नेटवर्क को तलाशेगी, इसके बाद दोषी कार्यकर्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। किसी वरिष्ठ की संलिपत्ता मिली तो उसे भी सख्त सजा मिलेगी।

16 अप्रैल की चिट्ठी, 19 को वायरल

प्रकाश शर्मा ने 16 अप्रैल को अपने लैटरहेड पर प्रधानमंत्री मोदी के नाम पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि ‘कानपुर नगर सीट पर जिस तरह प्रत्याशी थोपा गया है, वह अचंभित और हतप्रभ करने वाला है। पार्टी में किसी भी स्तर पर या आसपास उनके योगदान की कोई जानकारी नहीं है। चुनावी रणभूमि में प्रत्याशी अभी परिचय में ही फंसे हैं। ऐसी निष्क्रियता 400 पार के लक्ष्य को असंभव बना देगी। क्या कानपुर की धरा कार्यकर्ताविहीन हो गई है? कुछ गलतियों के कारण 1999, 2004 और 2009 में पार्टी को कानपुर नगर लोकसभा सीट गंवानी पड़ी थी। एकाएक ऐसा प्रत्याशी चयन निराश करने वाला है। कार्यकर्ता अंदर ही अंदर सुलग रहे हैं, लेकिन अपनी बात ऊपर तक पहुंचाने में अक्षम हैं।’ इस चिट्ठी को सपा विधायक ने शुक्रवार को अपने वाट्सएप ग्रुप में शुक्रवार को साझा किया, जिसके बाद कानपुर की राजनीति में भूचाल आ गया।

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