पोप लियो ने कहा-फिल्में सच दिखाएं, आशा का संचार करने वाला हो सिनेमा

वेटिकन सिटी। पोप लियो ने कहा कि फिल्मों को सच दिखाना चाहिए। सिनेमा ऐसा रचा जाे, जो आम आदमी में आशा का संचार करे। उन्होंने विश्व सिनेमा के दिग्गजों को आज की दुनिया में आशा, सुंदरता और सच्चाई का साक्षी बनने की चुनौती दी। पोप लियो (चौदहवें) ने वेटिकन के अपोस्टोलिक पैलेस में शनिवार सुबह विश्व सिनेमा के दिग्गजों ( अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखकों) के स्वागत समारोह में यह आह्वान किया।

वेटिकन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पोप ने कहा कि सिनेमा सिर्फ परदा नहीं, वह उससे से कहीं बढ़कर है। यह आशा को साकार करता है। पोप ने खचाखच भरे अपोस्टोलिक पैलेस 1895 में पेरिस में पहली फिल्म के प्रीमियर के लगभग 130 साल बाद फिल्मों के महत्व पर प्रकाश डाला। पोप ने कहा आज का सिनेमा को समझने का माध्यम बन गया है। यग अनंत की लालसा को चित्रित करने की इच्छा की अभिव्यक्ति” बन गया। है।

पोप लियो ने सिनेमा के प्रति आभार व्यक्त करते कहा, “सही अर्थों में यह एक लोकप्रिय कला है। यह सभी के लिए सुलभ है। यह मनोरंजन से कहीं अधिक है। फिल्में लोगों की जीवन यात्रा का एक आख्यान प्रस्तुत करती हैं।” उन्होंने कहा कि सिनेमा का मानवता के लिए बड़ा योगदान है। यह दर्शकों को दुनिया को परखने में नई दृष्टि प्रदान करता है। यह आत्मनिरीक्षण लोगों को जीवन को पूरी तरह से जीने के लिए आवश्यक आशा के एक हिस्से को फिर से खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है।

उन्होंने कहा कि सिनेमा में खो जाने का मतलब है एक दहलीज पार करना हौ। थियेटर के अंधेरे में हमारी इंद्रियां तीव्र हो जाती हैं और हमारा मन उन चीजों के प्रति अधिक खुला हो जाता है जिनकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। प्रस्तुतियां उन लोगों तक पहुंचती हैं जो मनोरंजन की तलाश में हैं, लेकिन साथ ही अर्थ, सौंदर्य और न्याय की भी तलाश कर रहे हैं। ऐसी दुनिया में जहां स्क्रीन हमारे दैनिक जीवन में सर्वत्र मौजूद हैं, सिनेमा एक ऐसा स्क्रीन हो सकता है जो और भी बहुत कुछ प्रदान करता है।

पोप लियो ने जोर देकर कहा, “यह इच्छाओं, स्मृतियों और प्रश्नों का एक संगम है।” उन्होंने कहा कि थियेटर और सिनेमा “हमारे समुदायों के धड़कते दिल हैं, क्योंकि ये उन्हें और अधिक मानवीय बनाने में योगदान देते हैं।” उन्होंने सिनेमा उद्योग को सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि कला हमेशा संभावनाओं के द्वार खोलती है। प्रामाणिक सिनेमा केवल सांत्वना ही नहीं बल्कि चुनौती भी देता है। सिनेमा हृदय की गहराई में छुपे प्रश्नों पर चिंतन करने में मदद करता है।

उन्होंने कहा यह मौजूद सभी लोग आशा के तीर्थयात्री भी हैं। पोप लियो ने चर्च और सिनेमा के बीच मित्रता को नवीनीकृत करने की इच्छा व्यक्त की।

उन्होंने तर्क दिया कि सिनेमा आशा की कार्यशाला है। यह आशा, सौंदर्य और सत्य का साक्षी हो सकता है। इसकी वर्तमान दुनिया को सख्त जरूरत है। इस अवसर अमेरिकी अभिनेत्री केट ब्लैंचेट ने पोप को एक ब्रेसलेट भेंट किया। अमेरिकी फिल्म निर्माता स्पाइक ली ने उन्हें न्यूयॉर्क निक्स की एक व्यक्तिगत बास्केटबॉल जर्सी भेंट की।

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