
Poonam Panday : नवरात्रि और दशहरा जैसे त्योहारों की तैयारियों के बीच देशभर में रामलीलाओं का मंचन जोर-शोर से शुरू हो गया है। इन धार्मिक आयोजनों में पात्रों का चयन भी तेजी से हो रहा है, लेकिन पुरानी दिल्ली की प्रसिद्ध लव कुश रामलीला में अभिनेत्री पूनम पांडे को रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस निर्णय के खिलाफ संत-महात्माओं ने कड़ा विरोध जताया है, जबकि कुछ का मानना है कि यह कला और आध्यात्मिक परिवर्तन का हिस्सा हो सकता है।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इस मुद्दे पर कहा, “रामलीला समितियों से मेरी अपील है कि वे शालीनता और गरिमा का ध्यान रखें। कलाकारों की पृष्ठभूमि और आचरण का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि रामलीला की पवित्रता और प्रतिष्ठा बनी रहे। सोच-समझकर कदम उठाना आवश्यक है, ताकि गलत संदेश न जाए।”
वहीं, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु बालक देवाचार्य ने कहा, “मंदोदरी एक पवित्र चरित्र है, जो मर्यादा और पवित्रता का प्रतीक है। ऐसे में किसी भी कलाकार को यह किरदार निभाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। रामचरितमानस एक धार्मिक ग्रंथ है, और इस तरह के पात्रों का चयन सावधानीपूर्वक होना चाहिए ताकि धार्मिक भावनाएं आहत न हों।”
इसके विपरीत, महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज ने कहा, “चित्र और चरित्र में फर्क होता है। यदि पूनम पांडे मंदोदरी का किरदार निभाती हैं और रामायण का अध्ययन करती हैं, तो इससे उनके जीवन में आध्यात्मिक बदलाव आ सकता है। मैंने 2019 में अपने शिविर में राखी सावंत को बुलाया था, जिन्होंने कृष्ण और राधा के भक्ति गीतों पर नृत्य किया। इससे उन्हें भारतीय वेदांत की महत्ता का अनुभव हुआ। यदि कोई कलाकार पौराणिक पात्र निभाता है, तो यह स्वागतयोग्य है।”
उन्होंने आगे कहा, “कला में कलाकार का चरित्र उसके अभिनय पर निर्भर करता है। यदि उन्हें विलन का रोल दिया जाता है, तो वह निभाएगा, लेकिन उसकी आंतरिक भावना और परिवर्तन सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर महत्वपूर्ण होते हैं। इसे कला की दृष्टि से देखने पर विवाद का कोई आधार नहीं बनता।”
वहीं, कंप्यूटर बाबा ने इस चयन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “पूनम पांडे को मंदोदरी का नहीं, बल्कि शूर्पणखा का किरदार निभाना चाहिए। रामलीला समिति को पहले यह सोचना चाहिए कि रामचरितमानस के पात्रों का चयन कैसे किया जाए। मंदोदरी का किरदार देना उचित नहीं है, क्योंकि रामलीला सनातन धर्म की धार्मिक परंपरा पर आधारित है। इसे सम्मान और गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। मैं रामलीला अध्यक्ष से आग्रह करता हूं कि वे बुद्धि और विवेक का प्रयोग करें और पात्रों का चयन पारंपरिक मान्यताओं के अनुरूप करें।”
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