
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए उपराज्यपाल वी.के सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता विभाग ने सभी विभाग अधिकारियों के संग बैठक कर निर्देश दिए गए हैं कि विभागीय अधिकारी अपने ग्राउंड स्तर से शहर का निरीक्षण करते रहें, बता दें कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता अपने मंत्रियों के साथ मिलकर खुद ग्राउंड स्तर पर सफाई और प्रदूषण नियंत्रण की निगरानी करने का फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री ने हाल में आयोजित उच्च-स्तरीय बैठक में नगर निगम के कामकाज पर तीखी नाराजगी जाहिर की थी, क्योंकि शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण और बिगड़ती सफाई व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री ने नगर निगम विभाग से नाराज हैं। दोनों महत्वपूर्ण मोर्चों की कमान सरकार ने अपने हाथों में ले लिया है।
बता दें कि 11 नवंबर को समीक्षा बैठक के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि नगर निगम इन मोर्चों पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। बैठक में यह तथ्य सामने आया था कि धूल-नियंत्रण मशीनें पूरी क्षमता से नहीं चल रहीं हैं। कई वार्डों में कूड़ा उठाने में देरी हो रही है, साथ ही सड़क धुलाई का सिस्टम लगभग ठप पड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि दिल्ली में प्रदूषण के गंभीर दौर में है। ऐसे में किसी भी विभाग की ढिलाई बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन सिर्फ नाराजगी जताना ही पर्याप्त नहीं था। बैठक के 4 दिन बाद भी जब कई इलाकों से सुधार की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं मिली, तो मुख्यमंत्री ने सीधे हस्तक्षेप का निर्णय लिया।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली सरकार की ओर से यह संदेश साफ कर दिया गया है कि अब प्रदूषण नियंत्रण और सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी केवल नगर निगम विभाग की ही नहीं होगी, बल्कि सीधे दिल्ली सरकार की निगरानी में होगी। सरकार ने तय किया है कि सभी 6 मंत्री विभिन्न क्षेत्रों में सफाई और प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था की प्रत्यक्ष समीक्षा करने पहुंचे।
दिल्ली सरकार की बैठक के बाद निगम आयुक्त ने भले ही जोन उपायुक्तों के साथ आपात बैठक कर निर्देश जारी कर दिए हो, लेकिन सरकार उन पर भरोसा करने को बिल्कुल तैयार नहीं दिख रही। नगर निगम विभाग को साफ संदेश दिया गया है कि अब कामकाज की जिम्मेदारी और उसकी निगरानी दोनों सरकार के हाथ में रहेगी। दिल्ली में जैसे-जैसे हवा खराब होती जा रही है। ठीक वैसे ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी नेता भाजपा सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं। विपक्ष पार्टी का आरोप है कि सरकार प्रदूषण नियंत्रण पर ढीली पड़ी है। ऐसे में मुख्यमंत्री के सफाई और प्रदूषण नियंत्रण का मोर्चा खुद संभालना राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।















