माँ के प्यार के आगे सियासत फीकी! बिहार में राबड़ी देवी ने दोनों बेटों को दिया जीत का आशीर्वाद

Bihar Election : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने लालू प्रसाद यादव के परिवार को एक अनोखे ‘महाभारत’ का गवाह बना दिया है। जहां एक तरफ बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) के बैनर तले महुआ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहीं तेजस्वी यादव राजद की ओर से राघोपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। लालू के परिवार में यह पहली बार हो रहा है कि घर के दो बेटों एक दूसरे को हराने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। मगर इस बीच माँ राबड़ी देवी ने अनोखी मिसाल पेश की। राबड़ी देवी ने सियासत को एक तरफ कर दोनों ही बेटों को जीत का आशीर्वाद दिया है।

बता दें कि राबड़ी देवी के छोटे बेटे तेजस्वी यादव, जो महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं, राघोपुर से अपनी सीट बचाने के साथ-साथ भाई के खिलाफ महुआ सीट से राजद के उम्मीदवार मुकेश कुमार रौशन को जिताने के लिए जोर लगा रहे हैं, जबकि महुआ सीट से ही तेजस्वी यादव के बड़ा भाई तेजप्रताप यादव चुनाव लड़ रहे हैं। इस पारिवारिक जंग में लालू परिवार की महिलाएं, मां राबड़ी देवी और बहनें, तेजप्रताप के साथ खड़ी नजर आ रही हैं, जबकि तेजस्वी ने ‘पार्टी सर्वोपरि’ का नारा देकर बड़े भाई को निशाने पर ले लिया है। पहले चरण का मतदान आज हो रहा है, और ये सीटें लालू परिवार के भविष्य की दिशा तय कर सकती हैं।

पारिवारिक दरार का चुनावी रूप : तेजप्रताप की बगावत

लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को मई 2025 में राजद से निष्कासित कर दिया गया था। कारण था उनका कथित ‘अनुशासनहीन व्यवहार’ और एक सोशल मीडिया पोस्ट, जिसमें उन्होंने एक महिला अनुष्का यादव के साथ 12 साल पुराने रिश्ते का दावा किया था। लालू ने इसे ‘परिवार और पार्टी के मूल्यों के खिलाफ’ बताते हुए तेजप्रताप को परिवार से भी अलग कर दिया। इसके बाद तेजप्रताप ने 26 सितंबर 2025 को जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) नाम से नई पार्टी बना ली और वैशाली जिले की महुआ सीट से उम्मीदवार बन गए, वही सीट, जहां उन्होंने 2015 में पहली बार जीत हासिल की थी।

तेजप्रताप का कहना है कि महुआ उनकी ‘कर्मभूमि’ है। उन्होंने नामांकन दाखिल करते समय सिर्फ अपनी दादी मर्चैय्या देवी की फोटो लगाई, जबकि तेजस्वी के नामांकन में लालू-राबड़ी दोनों मौजूद थे। तेजप्रताप ने अपनी संपत्ति 2.88 करोड़ रुपये बताई, जिसमें गोलापुर के खेत, पटना में प्लॉट और एक कमर्शियल बिल्डिंग शामिल है। लेकिन राजनीतिक रूप से ये जंग उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई है। वे कहते हैं, “आरजेडी अब फर्जी पार्टी बन चुकी है। असली लालू की विचारधारा जेजेडी में है।” राघोपुर में उन्होंने तेजस्वी के खिलाफ प्रचार करते हुए कहा, “जननायक जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया और लालू प्रसाद हैं, तेजस्वी नहीं।”

तेजस्वी का काउंटर : भाई के खिलाफ प्रचार, ‘बच्चा’ पर तंज

दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव ने साफ कर दिया कि ‘पार्टी से बड़ा कोई नहीं।’ 2 नवंबर को उन्होंने महुआ में राजद उम्मीदवार मुकेश रौशन (जो 2020 में भी इसी सीट से विधायक बने) के समर्थन में रैली की। यहां उन्होंने बिना नाम लिए तेजप्रताप पर निशाना साधा: “चाहे कोई आए या जाए, पार्टी ही माई-बाप है। महुआ से लालटेन (राजद का प्रतीक) लहराएंगे।” तेजस्वी ने दावा किया कि 18 नवंबर को वे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनकी संपत्ति हलफनामे में 8.1 करोड़ रुपये बताई गई, जो तेजप्रताप से करीब 5 करोड़ ज्यादा है। इसमें पत्नी राजश्री, बेटे ईराज लालू और बेटी कत्यायनी की संपत्ति भी शामिल है।

तेजस्वी राघोपुर से तीसरी बार लड़ रहे हैं, ये सीट लालू की पुरानी कर्मभूमि रही है, जहां राबड़ी देवी तीन बार जीतीं। यहां उनका मुकाबला भाजपा के सतीश कुमार यादव से है। तेजस्वी ने नौकरी और विकास के मुद्दे पर जोर दिया है, लेकिन परिवार की कलह ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

मां-बहनों का सपोर्ट : तेजप्रताप को आशीर्वाद, परिवार में फूट?

इस जंग में लालू परिवार की महिलाएं तेजप्रताप के साथ दिख रही हैं। मां राबड़ी देवी ने नामांकन के दौरान तेजप्रताप को आशीर्वाद दिया, हालांकि सार्वजनिक रूप से ज्यादा कुछ नहीं कहा। बहनें मीसा भारती और रोहिणी आचार्य ने भी इशारों में उनका साथ दिया। रोहिणी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजस्वी के करीबी संजय यादव पर निशाना साधा था, जिसे तेजप्रताप ने ‘जयचंद’ बताकर समर्थन किया। ऐश्वर्या राय (तेजप्रताप की पत्नी) ने भी कहा कि परिवार चुनावी ड्रामा कर रहा है, और उन्हें ‘अफेयर’ की जानकारी पहले से थी।

पटना एयरपोर्ट पर 4-5 नवंबर को दोनों भाइयों का आमना-सामना हुआ। वीडियो वायरल होने पर सन्नाटा छा गया, तेजस्वी ने कुछ पूछा, लेकिन तेजप्रताप ने अनदेखा कर दिया। तेजप्रताप ने तंज कसा, “तेजस्वी अभी बच्चा है, चुनाव बाद झुनझुना पकड़ा देंगे। उसके दूध के दांत टूटे नहीं।” जवाब में तेजस्वी ने कहा, “पार्टी ऊपर सब कुछ।”

वोटरों की बेचैनी : यादव वोट बंटेगा या लालू की विरासत बचेगी?

महुआ और राघोपुर दोनों यादव-बहुल सीटें हैं, जहां मुस्लिम और दलित वोटर भी असर डालते हैं। 2015-2020 में तेजप्रताप ने महुआ से 66,927 वोटों से जीत हासिल की थी, लेकिन अब राजद ने मुकेश रौशन को उतारा है, जो 2020 में 62,747 वोटों से जीते। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संजय सिंह भी मैदान में हैं। ग्राउंड रिपोर्ट्स कहती हैं कि यादव वोट बंट सकता है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “तेजप्रताप ने मेडिकल कॉलेज की नींव रखी थी, लेकिन लालू की विरासत तेजस्वी के साथ है। वोट किसे, ये दुविधा है।”

तेजप्रताप ने राघोपुर में जेजेडी के उम्मीदवार प्रेम कुमार के लिए प्रचार किया और हेलीकॉप्टर से उतरने का ऐलान किया। अगर यादव वोट 10-15% भी बंटा, तो महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। जेजेडी ने पहले चरण में 21 उम्मीदवार उतारे हैं, ज्यादातर यादव-मुस्लिम बहुल सीटों पर।

क्या तय करेगी ये सीटें लालू परिवार का भविष्य?

ये जंग सिर्फ दो सीटों की नहीं, बल्कि लालू की राजनीतिक विरासत की है। तेजप्रताप इसे ‘आत्मसम्मान की लड़ाई’ बता रहे हैं, जबकि तेजस्वी ‘पार्टी डिसिप्लिन’ पर जोर दे रहे हैं। भाजपा-जद(यू) इसे ‘परिवारवाद का अंत’ बताकर फायदा उठाने की कोशिश में हैं। पहले चरण के मतदान के बाद 11 नवंबर को दूसरा चरण है, और 14 नवंबर को नतीजे। क्या ये ‘भाई-भाई’ की लड़ाई चुनाव के बाद सुलझेगी, या लालू परिवार की एकजुटता हमेशा के लिए टूट जाएगी? बिहार की जनता ही फैसला करेगी।

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