
ढाका : बांग्लादेश में बढ़ते राजनीतिक तनाव और बिगड़ते हालातों के बीच, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल बाद लंदन से ढाका लौट आए हैं। एयरपोर्ट पर पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया। तारिक रहमान की यह वापसी 2026 के फरवरी में होने वाले आम चुनावों से पहले राजनीतिक दबदबे और बढ़त के तौर पर देखी जा रही है।
हिंसा और विस्फोट के बीच लौटे तारिक रहमान
उनके आगमन से पहले ही बांग्लादेश में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देशभर में प्रदर्शन और हिंसा फैल गई। बुधवार को ढाका में हुए एक शक्तिशाली विस्फोट में एक व्यक्ति की जान चली गई, वहीं भीड़ ने ढाका यूनिवर्सिटी में तोड़फोड़ की। इस दौरान हमलावर काजी नजरुल इस्लाम धार्मिक नारे और कविताएं पढ़ते हुए टेबल-कुर्सियां तोड़ते रहे।
समर्थकों को संबोधित करते हुए तारिक रहमान
तारिक रहमान ने एयरपोर्ट से निकलकर कार्यक्रम स्थल की ओर जाते हुए समर्थकों को संबोधित किया। उन्होंने शेख हसीना सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पिछले 15 वर्षों में कोई भी खुलकर अपनी बात नहीं कह सका। उन्होंने 2024 में छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या का जिक्र किया और उन्हें बहादुर नेता करार दिया।
उन्होंने कहा, इस देश की कमान अब युवा पीढ़ी संभालेगी। हम बांग्लादेश में शांति और स्थिरता चाहते हैं। मार्टिन लूथर किंग ने कहा था – ‘I Have a Dream’. आज मैं कहना चाहता हूं, मेरे पास एक योजना है अपने देश के लोगों और भविष्य के लिए।
संबोधन में उन्होंने सभी धर्मों के लोगों से एकजुट होने का आह्वान किया। मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और हिंदू सभी मिलकर यहां रहते हैं। हमें मिलकर एक नया बांग्लादेश बनाना होगा।
भीड़ में हाहाकार, एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल तक तीन घंटे
तारिक रहमान 300 फीट रोड (36 जुलाई एक्सप्रेसवे) स्थित कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। समर्थकों की भारी भीड़ के कारण उन्हें महज छह किलोमीटर की दूरी तय करने में करीब ढाई से तीन घंटे लग गए। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही उनका संबोधन शुरू हो गया, और समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की।
17 साल का लंबा प्रवास
तारिक रहमान 17 वर्षों तक लंदन में गुमनाम रहे और राजनीतिक सक्रियता से दूर रहे। 2008 में जब उन्होंने ढाका छोड़ने का फैसला किया था, तब उन्हें भावुक क्षणों का सामना करना पड़ा। इस दौरान बांग्लादेश की राजनीति लोकतंत्र, उदारवाद और कट्टरपंथ के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती रही।
आज उनकी वापसी को बीएनपी और राजनीतिक विश्लेषक ढाका में बड़े बदलाव और चुनावी हलचल का संकेत मान रहे हैं। बीएनपी इसे 2026 के आम चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए रणनीतिक कदम के रूप में देख रही है।















