PM मोदी ने गाजा शांति को समर्थन देते हुए इजरायली नागरिकों की रिहाई का स्वागत किया

New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गाजा में दो साल से चले आ रहे संघर्ष के समाप्त होने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को पूर्ण समर्थन देते हुए हमास की कैद से सभी जीवित इजरायली बंधकों की रिहाई का हार्दिक स्वागत किया। मोदी ने इसे क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया और बंधकों के परिवारों की हिम्मत, ट्रंप की दृढ़ता तथा इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के संकल्प की सराहना की। यह बयान ऐसे समय आया है जब मध्य पूर्व में युद्धविराम समझौता सफलतापूर्वक लागू हो रहा है, और इजरायल में जश्न का माहौल है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किया : हम दो साल से ज़्यादा समय तक बंधक बनाए रखने के बाद सभी बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हैं। उनकी आज़ादी उनके परिवारों के साहस, राष्ट्रपति ट्रंप के अटूट शांति प्रयासों और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। हम क्षेत्र में शांति लाने के राष्ट्रपति ट्रंप के ईमानदार प्रयासों का समर्थन करते हैं।” इस पोस्ट के साथ मोदी ने एक इमेज भी शेयर की, जिसमें ट्रंप और नेतन्याहू की तस्वीरें हैं, जो वैश्विक स्तर पर वायरल हो रही है।

पृष्ठभूमि: गाजा युद्धविराम और बंधकों की रिहाई

यह रिहाई अमेरिका की मध्यस्थता से बने युद्धविराम समझौते का पहला चरण है, जो ट्रंप प्रशासन की 20-सूत्री शांति योजना पर आधारित है। हमास ने 7 अक्टूबर 2023 के हमले में 251 इजरायलियों को बंधक बनाया था, जिसमें 1,200 लोग मारे गए थे। दो साल के युद्ध में गाजा में भारी तबाही हुई, जहां हमास-नियंत्रित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 67,000 फिलिस्तीनी मारे गए। रविवार और सोमवार को हमास ने अंतिम 20 जीवित बंधकों को रेड क्रॉस के माध्यम से इजरायली अधिकारियों को सौंपा – पहले 7 और फिर 13। बदले में, इजरायल ने करीब 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त किया। अगले चरण में 28 मृत बंधकों के शव लौटाए जाएंगे, और गाजा में स्थायी शांति पर फोकस होगा।

ट्रंप ने इजरायली संसद में भाषण देते हुए इसे “नए मिडिल ईस्ट का उदय” बताया, जबकि नेतन्याहू ने ट्रंप को इजरायल का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। ट्रंप अब मिस्र के शर्म अल-शेख में अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां गाजा पुनर्निर्माण और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा होगी।

भारत की भूमिका और मोदी का स्टैंड

भारत ने हमेशा मध्य पूर्व शांति की वकालत की है। मोदी का यह बयान भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ नीति को दर्शाता है, जहां वह इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ संतुलित संबंध रखते हैं। पिछले साल जी20 सम्मेलन में मोदी ने गाजा युद्ध पर मानवीय सहायता की अपील की थी, और भारत ने इजरायल को समर्थन देते हुए हमास को आतंकी संगठन बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, पीएम का बयान क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता दिखाता है। हम ट्रंप के प्रयासों से सहमत हैं और शांति वार्ताओं में योगदान देने को तैयार हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करेगा, खासकर ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में। इजरायल में भारतीय दूतावास ने भी रिहाई का स्वागत किया, और कहा कि “भारत शांति का साथी है।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रिहाई को उम्मीद की किरण बताया, जबकि फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने स्थायी युद्धविराम की मांग की। रूस और चीन ने भी समझौते की सराहना की, लेकिन इजरायल की संसद में गाजा समर्थक सांसदों की नारेबाजी ने राजनीतिक विभाजन दिखाया।

मोदी का यह समर्थन न केवल कूटनीतिक है, बल्कि मानवीय भी बंधकों की रिहाई ने दुनिया भर में राहत की लहर दौड़ाई है। क्या यह शांति टिकेगी? भारत जैसे देशों की भूमिका इसमें अहम होगी।

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