
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात भारत-अमेरिका के संबंधों को और मजबूत करने का एक अहम कदम है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को दोनों देशों के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का नया अध्याय बताया है। पीएम मोदी 12 फरवरी को फ्रांस की 3 दिवसीय यात्रा समाप्त करने के बाद अमेरिका पहुंचे हैं, जहां वे ट्रंप से राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार मिलेंगे। पीएम मोदी ने वॉशिंगटन पहुंचने के बाद एक्स पर ट्वीट किया कि वह ट्रंप से मुलाकात करेंगे और भारत-अमेरिका की साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं।
विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी कैबिनेट के सदस्यों और उद्योग जगत के प्रमुख नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। ट्रंप के शपथग्रहण के एक महीने के भीतर दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात, भारत-अमेरिका रिश्तों की बढ़ती अहमियत को दर्शाती है।
प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के प्रमुख मुद्दे:
- व्यक्तिगत तालमेल: मोदी-ट्रंप संबंध
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच पहले से ही गहरा व्यक्तिगत तालमेल है, जो इस यात्रा की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 2019 में “हाउडी मोदी” कार्यक्रम और 2020 में ट्रंप की अहमदाबाद यात्रा दोनों नेताओं के मजबूत रिश्तों का उदाहरण हैं। दोनों नेताओं का आर्थिक राष्ट्रवाद और चीन के खिलाफ समान दृष्टिकोण, इस साझेदारी को और मजबूती प्रदान कर सकता है। - आप्रवासन और निर्वासन: एक संवेदनशील मुद्दा
भारत-अमेरिका के रिश्तों में भारतीय अप्रवासियों से जुड़े मुद्दे भी अहम हैं। हाल ही में अमेरिका ने 104 भारतीय अप्रवासियों को निर्वासित किया, और 800 से अधिक भारतीयों को भी निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है। भारत सरकार ने इस पर चिंता जताई है और अमेरिका से मानवीय व्यवहार की उम्मीद की है। इस यात्रा से भारतीय नागरिकों के लिए कानूनी चैनल को स्पष्ट करने की उम्मीद है। - टैरिफ: विवादित मुद्दा
भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों में भी विवाद है, खासकर टैरिफ को लेकर। ट्रंप ने भारत पर “टैरिफ किंग” होने का आरोप लगाया है। दोनों देशों के बीच व्यापार शुल्क पर बातचीत की संभावना है। भारत ने हाल ही में कुछ उत्पादों पर टैरिफ घटाने का निर्णय लिया है, जिससे व्यापार समझौते की दिशा में प्रगति हो सकती है। - रक्षा सहयोग: एक उभरती साझेदारी
भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग पर भी बातचीत हो सकती है। दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों का व्यापार बढ़ रहा है, और इस यात्रा में नई रक्षा डील्स की घोषणा की जा सकती है। इसके अलावा, भारत अमेरिकी ऊर्जा आपूर्ति, विशेषकर तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की खरीद को बढ़ाने के लिए भी बातचीत कर सकता है। - चीन से संबंधित रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत और अमेरिका का संबंध चीन के खिलाफ साझा दृष्टिकोण से भी प्रभावित है। अमेरिका ने चीन को अपने रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा है, और भारत को इस संदर्भ में महत्वपूर्ण सहयोगी माना गया है। ट्रंप प्रशासन का चीन पर सख्त रुख और भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी इस यात्रा का एक अहम पहलू हो सकता है।
इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों देशों के नेताओं के बीच चर्चा होने की संभावना है, जो भारत-अमेरिका रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।














