मुखवा में पीएम मोदी करेंगे साधना, यहां आदि गुरु शंकराचार्य ने बनाया था मठ

Seema Pal

PM Modi Mukhva Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मुखवा गांव में स्थित गंगा मंदिर में पूजा-अर्चना की। मुखवा गांव को मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल माना जाता है और यहां सालभर मां गंगा की पूजा-अर्चना होती है। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद, मां गंगा की भोग मूर्ति को शोभा यात्रा के साथ मुखवा स्थित गंगा मंदिर में लाया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मुखवा गांव के मंदिर में गंगा मां के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा होती है। प्रधानमंत्री मोदी का इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करना न केवल इस स्थान के धार्मिक महत्व को बढ़ाता है, बल्कि उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को भी एक नई पहचान दिलाने का काम करेगा। यह कदम गंगा की पूजा और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अहम साबित हो सकता है।

उत्तरकाशी से 80 किमी दूरी पर बसा है मुखवा गांव

मुखवा गांव जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 80 किमी की दूरी पर स्थित है, गंगोत्री हाईवे पर हर्षिल से 3 किमी दूर है। यह गांव भारतीय धार्मिक इतिहास में विशेष महत्व रखता है। यहां आदि गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी, और उन मठों में से एक मठ मुखीमठ के नाम से जाना जाता है। यह स्थल शंकराचार्य के धार्मिक दृष्टिकोण और अद्वैत वेदांत के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण रहा है।

मुखवा गांव की धार्मिक महत्वता का विशेष कारण है कि यह स्थल अनादि काल से मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल माना जाता है। यहां गंगोत्री धाम में हर साल मई से अक्टूबर तक पूजा होती है, लेकिन मुखवा गांव में यह पूजा सालभर होती है। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद, हर साल मां गंगा की भोग मूर्ति को यहां लाकर पूजा अर्चना की जाती है।

गंगा मां का शीतकालीन प्रवास स्थल

मुखवा गांव में गंगा मां का शीतकालीन प्रवास स्थल होने के कारण यहां गंगा पूजा का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। मुखवा गांव को मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल माना जाता है। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद, मां गंगा की मूर्ति को मुखवा गांव में स्थित गंगा मंदिर में लाया जाता है। यह पूजा दिसंबर से लेकर मार्च तक होती है और यहां गंगा की पूजा पूरे 12 महीने यानी सालभर होती है। जबकि गंगोत्री धाम में गंगा पूजा केवल ग्रीष्मकाल में होती है।

गंगा को भारत में ‘पतित पावनी’ (पापों को धोने वाली) माना जाता है और उनकी पूजा के द्वारा भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। मुखवा गांव में गंगा पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह शीतकालीन प्रवास स्थल है, जहां साल भर गंगा की आराधना होती है। इस स्थान को देवभूमि उत्तराखंड में गंगा के परम पवित्र स्थल के रूप में माना जाता है।

आदि गुरु शंकराचार्य ने यहां बनाया था अपना मठ

गंगा पूजा का एक और धार्मिक पहलू है कि यह पूजा उत्तराखंड के समृद्ध धार्मिक इतिहास और संस्कृति का हिस्सा है। आदि गुरु शंकराचार्य ने यहां अपने मठ की स्थापना की थी, और यह स्थान भारतीय धार्मिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां पर पूजा-अर्चना के माध्यम से भक्त अपने जीवन के पापों का प्रक्षालन करते हैं और आत्मिक शांति की प्राप्ति करते हैं।

मुखवा गांव में गंगा पूजा न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करती है, बल्कि यह गंगा नदी के संरक्षण और सम्मान को भी बढ़ावा देती है। गंगा नदी की महिमा और उसके शुद्धिकरण गुणों को ध्यान में रखते हुए यहां हर साल पूजा की जाती है, ताकि लोग गंगा के महत्व को समझें और उसकी रक्षा के लिए जागरूक हों।

इस स्थान पर गंगा पूजा एक आध्यात्मिक अनुभव के रूप में देखी जाती है। मुखवा गांव और गंगा मंदिर को धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक परंपराओं का प्रतीक माना जाता है। यह स्थान स्थानीय लोगों के लिए एक श्रद्धा स्थल है, और यहां की पूजा के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा और आस्था को गंगा मां के समक्ष अर्पित करते हैं।

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