
देश में हो रहे लोकसभा चुनाव आखिरी चरण में पहुंच गया है। चुनाव के इस आखिरी चरण के तहत एक जून को वोटिंग होनी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरक्षण से लेकर विपक्ष के हमले सहित कई ज्वलंत मुद्दों पर बात की है।
पीएम मोदी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि वह आरक्षण को लेकर लोगों को सचेत कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि इस चुनाव में आरक्षण इतना बड़ा मुद्दा कैसे बन गया? इस पर पीएम मोदी ने कहा, “मैं आरक्षण को लेकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग के भाई-बहनों को सचेत कर रहा हूं क्योंकि इन्हें अंधेरे में रखकर लोग लूट रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे लगा कि इस समय जो संकट है, मुझे उससे देशवासियों को जागरूक करना चाहिए। इसलिए मैं आग्रहपूर्वक जनता-जनार्दन को समझा रहा हूं। दरअसल, दो चीजें हो रही हैं। एक- भारत के संविधान की मूलभावना का हनन हो रहा है। संविधान की मर्यादाओं को तार-तार किया जा रहा है और वो भी अपनी वोटबैंक की राजनीति के लिए।”
उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि मैंने संसद में कांग्रेस के नेताओं को सुना था। वे कहते थे कि आप पीएसयू का निजीकरण कर रहे हैं और आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं। इसमें कोई सच्चाई नहीं थी, वे सिर्फ बातें बना रहे थे। लेकिन असलियत यह है कि जो लोग खुद को दलितों और आदिवासियों के हितैषी बताते हैं, वे वास्तव में उनके दुश्मन हैं। उन्होंने रातों-रात शैक्षणिक संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थान बना दिया, जिससे आरक्षण खत्म हो गया। यहां तक कि विश्वविद्यालयों को भी अल्पसंख्यक दर्जा दे दिया।”
पीएम मोदी ने कहा, “दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा देने के बाद उसमें सभी आरक्षण खत्म हो गए, चाहे वह दाखिले में हो या नौकरियों में। यह स्पष्ट हुआ कि लगभग दस हजार संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के आरक्षण के अधिकारों को पिछले दरवाजे से छीन लिया गया है। यह संविधान के साथ धोखा है। बाबा साहेब आंबेडकर ने जो सपना देखा था, उसे इन लोगों ने वोटबैंक की राजनीति के लिए गिरवी रख दिया है। यह चिंताजनक है और जब मुझे यह बातें पता चलीं, तो मैंने समझा कि यह मेरा कर्तव्य है कि मैं देश को इस बारे में सचेत करूं|