पीलीभीत : मुख्य न्यायमूर्ति पर जूता फेंकने की घटना से देश में आक्रोश, राष्ट्रपति को संबोधित सौंपा गया ज्ञापन

पीलीभीत। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति बी०आर० गवई पर न्यायालय कक्ष में जूता फेंके जाने की शर्मनाक घटना को लेकर देशभर में रोष व्याप्त है।

जनपद में बुद्धम सेवा समिति की ओर से महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित एक कड़ा ज्ञापन उप जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा गया है। इसमें कहा गया कि 06 अक्टूबर को अधिवक्ता राकेश किशोर द्वारा भारत के मुख्य न्यायमूर्ति पर कोर्ट के अंदर जूता फेंकना सिर्फ न्यायपालिका का नहीं बल्कि पूरे भारतीय लोकतंत्र और संविधान का अपमान है। यह कृत्य जातीय घृणा और मनुवादी मानसिकता से प्रेरित है, जिसने संविधान की आत्मा को झकझोर दिया है।

यह घटना डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा रचित संविधान को खुलेआम चुनौती देने वाली है। यदि ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो यह भविष्य में लोकतंत्र के लिए खतरनाक मिसाल साबित होगी। मांग की गई अधिवक्ता राकेश किशोर पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाए और उसे देशद्रोही घोषित किया जाए। मुख्य न्यायमूर्ति बी०आर० गवई और अन्य बहुजन महापुरुषों के विरुद्ध जातिवादी टिप्पणी या ए.आई. वीडियो बनाने वाले सोशल मीडिया संचालकों पर कठोर कार्रवाई हो।देश में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग पर हो रहे मनुवादी हमलों पर तत्काल रोक लगाई जाए। संविधान और कानून का शासन सुनिश्चित किया जाए तथा जाति-धर्म के आधार पर हिंसा फैलाने वालों को जेल भेजा जाए।मध्यप्रदेश के अधिवक्ता अनिल मिश्रा द्वारा डॉ. आंबेडकर के विरुद्ध की गई घृणित टिप्पणी पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।

रायबरेली में हरिओम बाल्मीकि की हत्या के दोषियों को फांसी जैसी सजा दी जाए।ज्ञापन में कहा गया कि यह घटना देश की न्यायपालिका, संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है। यदि ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो यह न्याय और समानता के स्तंभों को गिराने की साजिश मानी जाएगी।ज्ञापन देने वालों में एडवोकेट विकास सागर, प्रदीप कुमार सागर, एडवोकेट चंद्र शेखर आजाद, अश्विनी गौतम,किशन लाल गौतम,अशोक कुमार आदि लोग थे।

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