
भास्कर ब्यूरो
पूरनपुर ,पीलीभीत। “क्यों मारा सिर्फ इसलिए कि वो हिन्दू थे?” – ये सवाल आज पूरनपुर के नन्हें विद्यार्थियों की आंखों में तैरता रहा। कश्मीर के पहलगाम में जब निर्दोष हिन्दू सैलानियों को सिर्फ उनके धर्म के आधार पर आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया, तो यह ख़बर सुनकर हर संवेदनशील भारतीय का दिल कांप उठा। इसी दर्द और गुस्से को लेकर नगर के एक विद्यालय के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को आतंकवाद के खिलाफ एक मौन लेकिन प्रभावशाली हुंकार भरी।
“हमें चाहिए अमन, नहीं आतंक”- छात्र-छात्राओं की मौन क्रांति
सुबह 10:30 बजे विद्यालय परिसर से शुरू हुई रैली में बच्चियों की आंखों में आंसू थे और हाथों में तख्तियां- “आतंकवाद नहीं चाहिए”, “हमें अमन और इंसानियत चाहिए”, “STOP TERRORISM”। छोटे-छोटे हाथों में उठे हुए ये शब्द किसी हथियार से कम नहीं लग रहे थे। छात्र और छात्राएं तहसील परिसर पहुंचे, जहां उनकी भावनाओं से भरा ज्ञापन राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए एसडीएम अजीत प्रताप सिंह को सौंपा गया।
ज्ञापन में दर्ज हुआ बच्चों का दर्द और संदेश
ज्ञापन में बच्चों ने लिखा, “हम बच्चे हैं, लेकिन डरते नहीं। हम भारत के भविष्य हैं, और हम चाहते हैं कि हमारे देश में हर धर्म के लोग बिना डर के घूम सकें, जी सकें। जो देश आतंक को जन्म देता है, उसे दुनिया के नक्शे से मिटा देना चाहिए।” यह शब्द किसी नेता या बुद्धिजीवी के नहीं, बल्कि उन मासूम बच्चों के हैं, जिन्होंने आज देश की आत्मा की आवाज़ बनकर अपनी बात कही।
नन्ही काव्या ने कहा- “क्या हम हर वक़्त डर में जिएं?”
रैली में शामिल छात्रा काव्या की आंखें नम थीं। उसने कहा, “कल वो किसी और की मम्मी-पापा थे, कल को हमारे मम्मी-पापा भी तो ऐसे ही कहीं घूमने जा सकते हैं… क्या हम हर वक़्त डर में जिएं?” इस एक सवाल ने हर उपस्थित व्यक्ति को भावुक कर दिया।
शिक्षकों का संदेश: “ये सिर्फ प्रदर्शन नहीं, पीढ़ी की पीड़ा है”
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने कहा, “यह प्रदर्शन सिर्फ विरोध नहीं, यह पीढ़ी की पीड़ा है। ये बच्चे बता रहे हैं कि अब चुप रहना देशद्रोह के बराबर है। हमें एक होकर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई लड़नी होगी।” रैली में विद्यालय का पूरा स्टाफ, अध्यापक, और नगर के जागरूक नागरिक भी मौजूद थे। प्रशासन ने रैली को शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से सम्पन्न कराने में सहयोग दिया।
जब बच्चे उठाएं आवाज़, तो देश को जागना चाहिए
यह रैली केवल एक विरोध नहीं थी, यह देश के भविष्य की ओर से एक चेतावनी थी – कि अब खामोशी नहीं चलेगी। अब हर नागरिक, हर विद्यार्थी, हर बच्चा आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। और यह एकजुटता ही भारत की असली ताकत है।