किसानों से रूठे बदरा! सूखे की चपेट में पीलीभीत, 65% कम हुई बारिश

पीलीभीत। जनपद के किसानों से इस बार मानसून रूठा रहा, जिले में बेहद कम बारिश हुई जबकि मंडल के अन्य जिलों में अच्छी बरसात दर्ज की गई है। जिला पूरी तरह से सूखे की चपेट में है और किसान धान की फसल को तैयार करने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।

तराई का जिला पीलीभीत इस बार प्राकृतिक रूप से बारिश से पिछड़ गया और सूखे का संकट झेल रहा है, बारिश कम होने से धान की फसल को महंगे डीजल और उर्वरक लगाकर तैयार करने में किसान जमा पूंजी से खाली होता दिखाई पड़ता है। पिछले वर्ष की तुलना में जनपद पीलीभीत के किसान प्राकृतिक बारिश से मेहरूम रहे, इस बार पीलीभीत में 65% कम बारिश दर्ज की गई है। यह आंकड़े बताते हैं कि जनपद में खेती किसानी पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है, बारिश की खराब स्थिति के चलते धान की फसल में अधिक कीट लगने से और दर में कमी आयेगी।

वहीं, पड़ोसी जनपदों की बात करें तो अच्छी खासी बरसात दर्ज हुई है, जिसमें जनपद बरेली और शाहजहांपुर भी शामिल हैं। जनपद पीलीभीत में 648 एमएम बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन सिर्फ 241 एमएम बरसात हुई है। यह आंकड़ा बरेली में और बेहतर हो जाता है, जिला बरेली में 615 एमएम वर्ष होनी थी जबकि वहां 640 एमएम बारिश हुई है। पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर में 589 एमएम बरसात होनी थी जिसमें वहां 496 एमएम बारिश हुई है।

इसके अलावा बरेली मंडल के जनपद बदायूं में भी बारिश का प्रतिशत अच्छा रहा, बदायूं में 518 एमएम बारिश होनी चाहिए थी और वहां पर 474 एमएम बारिश दर्ज की गई है। जनपद के कृषि वैज्ञानिक एसएस ढाका ने बताया कि पीलीभीत में पिछले साल के मुकाबले काफी कम बारिश हुई है, जबकि मंडल के अन्य जिलों में बारिश संतोषजनक है।

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