
- चूका नाला के पास गहरे पानी को पार करके हो रही शराब की तस्करी
पीलीभीत। शराब माफियाओं के लिए घने जंगल अवैध कारोबार के लिए मुफीद बने हुए हैं, जहां हजारों लीटर कच्ची शराब बनाई और बेची जा रही है। पीटीआर की रेंज बराही रेंज से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें कच्ची शराब की भट्टी धधक रही है। शराब माफियाओं के लिए आरक्षित वन क्षेत्र सुरक्षा घेरे की तरह काम कर रहा है और आबकारी विभाग की पहुंच से दूर शराब माफिया लाखों रुपए का कारोबार कर रहे हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आरक्षित वन क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व आबकारी विभाग ने अभियान चलाकर कच्ची शराब बना रहे माफियाओं की धरपकड़ की थी, लेकिन यह अभियान कुछ दिन चलने के बाद रुक गया और शराब माफिया एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। ताजा मामला पीटीआर की रेंज बराही का बताया जा रहा है, जहां से कच्ची शराब बनाने की तस्वीर और वीडियो सामने आए हैं, सूत्रों की माने तो शराब माफिया दुर्गम रास्ते का फायदा उठाकर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं, जिसमें वन कर्मचारियों का भी संरक्षण मिला हुआ है।
बताया जा रहा है नवदिया बीट में तकरीबन 60 से 70 शराब भट्टियां धधक रही है। आरक्षित वन क्षेत्र होने के चलते शराब माफिया को पुलिस प्रशासन की कार्रवाई का भी डर नहीं है। इसके साथ ही जंगल के अंदर मिलने वाली लकड़ी को जलाकर शराब बनाई जाती है और उसको पास के गांव में सप्लाई किया जा रहा है।
नाव से संचालित हो रहा कच्ची शराब का धंधा
नवदिया बीट में शराब की तस्करी के लिए नाव का इस्तेमाल होता है, यह नाव चूका नाला के गहरे पानी से होकर शराब तस्करी का काम करती हैं, प्रतिदिन बनने वाली हजारों लीटर कच्ची शराब गांव भगवंतापुर, गुलड़िया, नवदिया टांडा छत्रपति, पताबोझी आदि में खपाई जा रही है।
वर्ष 2022-23 में हुई थी कार्रवाई
जंगल के अंदर शराब बनाने का धंधा कोई नया नहीं है, इससे पूर्व 2022-23 में कच्ची शराब की तस्करी और बिक्री होने के मामले में शिकायत हुई थी और उससे जुड़े वीडियो भी वायरल हुए थे, जिसमें वनरक्षक और क्षेत्र प्रभारी पर कार्रवाई हुई थी और रेंज अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया था, कुछ समय के लिए कच्ची शराब के कारोबार पर रोक रही और उसके बाद एक बार फिर अवैध शराब का धंधा जंगल के अंदर फल फूल रहा है।