
- शिकायतें पहुंचीं SDM कार्यालय कार्रवाई रही शून्य
पूरनपुर , पीलीभीत। ग्राम पूरनपुर देहात के शेरपुर रेलवे फाटक पर अतिक्रमण इस कदर फैल चुका है कि अब न तो सड़क बची है और न ही सरकारी नाला। मोहम्मद साजिद पुत्र दन्ने हलवाई ने अपने घर के सामने लकड़ियों का स्टॉक, चाय-पान का होटल और काउंटर लगाकर पूरी सड़क को अपना बना लिया है — और हैरानी की बात ये है कि प्रशासनिक मौन ही इस अतिक्रमण का सबसे बड़ा संरक्षण बन गया है।
पीड़ित का प्लाट छिपा, ग्राहक तक नहीं आ पा रहे
स्थानीय निवासी इमरान खान का प्लाट उसी स्थान पर स्थित है, लेकिन अब वह पूरी तरह अतिक्रमण के पीछे दब गया है। उन्होंने फ्लैक्स लगाकर प्लाट बिक्री का प्रयास किया, मगर आने-जाने का रास्ता ही घिरा हुआ है। ग्राहक पास तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
पहला पड़ाव — SDM कार्यालय, मिली निराशा
इमरान ने सबसे पहले उपजिलाधिकारी से न्याय की उम्मीद की। लिखित शिकायत दी गई, लेकिन जवाब मिला — “यह मामला हमारे क्षेत्र का नहीं है, नगर पालिका से संपर्क करें।” साफ था कि जिम्मेदारी से बचने का खेल यहीं शुरू हो गया।
दूसरा पड़ाव — IGRS पोर्टल, फिर भी कुछ नहीं बदला
इसके बाद शिकायत जनसुनवाई पोर्टल IGRS पर दर्ज कराई गई। जांच के नाम पर सिर्फ एक फोन आया, पुलिस चौकी बुलाया गया, औपचारिकताएं निभाई गईं और फिर वही पुरानी फाइलों वाली चुप्पी। यह पूरा सिलसिला दिखाता है कि व्यवस्था केवल दिखावे की जांच में विश्वास करती है, कार्रवाई में नहीं।
कर्मचारियों के संरक्षण से फल-फूल रहा अतिक्रमण
स्थानीय लोग यह मानने लगे हैं कि यदि किसी व्यक्ति ने सड़क पर कब्जा करना हो, तो उसे सिर्फ इतना करना है कि ‘सिस्टम’ में सेटिंग कर ले। शिकायतों के बाद भी कोई हलचल नहीं होना इस बात का प्रमाण है कि सरकारी कर्मचारी और अधिकारी चाहें तो किसी भी अतिक्रमण को नजरअंदाज कर सकते हैं — और कर भी रहे हैं।
कर्मचारियों की चुप्पी या सहमति?
जब कोई अधिकारी किसी समस्या को दूसरे विभाग पर टाल दे, और कर्मचारी जांच के नाम पर पीड़ित को सिर्फ चौकी बुलाकर लौटा दें — तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि अतिक्रमण को मौन सहमति देना कहलाता है।
अब सवाल — क्या कार्रवाई होगी या सब यूं ही चलता रहेगा?
इमरान खान जैसे लोग न्याय की उम्मीद में शिकायत दर शिकायत कर रहे हैं, जबकि अतिक्रमणकर्ता हर दिन नई जगह घेरते जा रहे हैं। सवाल यही है — क्या शासन-प्रशासन वास्तव में अतिक्रमण हटाने को लेकर गंभीर है, या फाइलों के इधर-उधर घूमने को ही कार्रवाई मान लिया गया है।
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