संदीप पुंढीर
हाथरस/हसायन। गुलाब की खेती के लिए हसायन देश विदेश में विख्यात है। यहां चैती गुलाब से बनी रूह सबसे अच्छी मानी जाती है। इस बार गुलाब के भाव आसमान छू रहे हैं। 100-125 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाला गुलाब अब 350 रुपये किलो तक पहुंच गया है। बेमौसम हुई बारिश की वजह से गुलाब की पैदावार गिरना भी फसल की महंगाई की वजह मानी जा रही है। किसानों की मानें तो बेमौसम बारिश से गुलाब का फूल झड़ गया, जिससे पैदावार गिर गई। पैदावार कम होने से किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है तो फैक्ट्री मालिक भी खुश नही हैं क्योंकि गुलाब की पैदावार कम होने से महगाई अधिक है।
बता दें कि हसायन क्षेत्र में गुलाब की खेती 18 हजार हेक्टेयर में होती है। बेमौसम की बारिश से यह फसल पांच हजार हेक्टेयर तक सिमटकर रह गई है। 13 हजार हेक्टेयर के करीब फसल बर्बाद हो गई है। यह फसल साल में दो बार होती है। पहला सीजन मार्च से मई और दूसरा सीजन जुलाई से अक्टूबर तक रहता है। पहले सीजन को चैती गुलाब बोला जाता है।
गुलाब की फसल कीमत आम दिनों में चार से पांच हजार रुपये मन (40 किग्रा) तक रहता है। वहीं कन्नौज का गुलाब 20 से 30 रुपये किलो की कीमत में बिकता है। यहां के देशी गुलाब की गुणवत्ता अन्य जगहों के गुलाब से कई गुना बेहतर होती है। गुलाब की कम पैदावार से मंडी में यह कीमत 14 हजार रुपये मन (40 किग्रा) तक पहुंच गया है।
गुलाब की खेती यहां इत्र कारोबार के लिए होती है। सालाना 200 से 300 करोड़ रुपये का कारोबार यहां होता है। यहां का इत्र कारोबार लगभग 15 हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। 150 से अधिक फैक्ट्रियां यहां लगी हुई हैं। इनमें दस से अधिक फैक्ट्रियां कन्नौज के व्यापारियों की हैं। अन्य व्यापारी यहां फैक्ट्री लीज पर लेकर खरीदे गए गुलाब से रूह तैयार कराते हैं। यहां की फैक्ट्रियों में बनी रूह की कीमत छह लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक रहती है।
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