
Parliament Winter Session : संसद में विपक्ष ने केंद्र की भाजपा सरकार पर ये आरोप लगाया कि बिहार में “सर्विस रीकॉग्निशन” (SIR) के माध्यम से बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जिनमें वह वर्ग शामिल है जो पारंपरिक रूप से विपक्ष के समर्थन में रहा है।
इस पर अमित शाह ने विपक्ष पर बड़ा हमला बोला। अमित शाह ने कहा कि भारत माता की संतानें मानते हैं कि यह देश कोई जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि मां के समान है, जिसे हम सर्वोपरि मानते हैं। इस पुरातन भावना को बंकिम बाबू ने पुनर्जीवित किया था। महर्षि अरविंद ने वंदे मातरम को केवल एक गीत नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति का जागरण माना। भारत की सनातन शक्ति को पुनर्जीवित करने का मंत्र है वंदे मातरम। वंदे मातरम के गायन को टालने की कोशिश कांग्रेस की मानसिकता है। जब वंदे मातरम का 50वां वर्ष मनाया गया, तब भारत आजाद नहीं था। इसकी स्वर्ण जयंती 1937 में हुई, जब जवाहर लाल नेहरू ने इसे दो भागों में विभाजित कर दिया और सीमित कर दिया।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उपचुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव के दौरान धांधली की शिकायत की गई थी, जहां एक व्यक्ति को छह वोट डालते हुए पकड़ा गया था। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती हैं।
अखिलेश यादव ने कांग्रेस के सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव किया जाना चाहिए और इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर भी सवाल उठाए और कहा कि विदेशों में, खासकर जर्मनी में, ईवीएम से डाले गए वोट को मान्यता नहीं दी जाती। उन्होंने मांग की कि भारत में भी पारदर्शिता और भरोसे के लिए चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएं।
अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव के समय सभी को समान अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर दूसरे की छवि खराब करने में पैसा खर्च किया जा रहा है, और भाजपा इस पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इलेक्टोरल बांड के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सबसे अधिक भारत में बैठे सत्ता पक्ष को ही यह मिले हैं, उसके बाद कांग्रेस को। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड पर खर्च को कम करने के लिए भी विचार होना चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम की महिमा को बंगाल चुनाव से जोड़कर उसका महत्व कम करने की कोशिश की जा रही है। बंकिम बाबू बंगाल में ही जन्मे और वहीं रचना हुई। जब वंदे मातरम का प्रकाशन हुआ, तब यह विश्वभर में फैल गया था। वंदे मातरम की चर्चा, महिमा और गौरवगान से बच्चे, किशोर और युवा इसकी महत्ता को समझेंगे और इसे राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार भी बनाएंगे।
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