
हैदराबाद में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का उल्लंघन बताया। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान पर तीखा कटाक्ष करते हुए तंज कसा कि क्या अब वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने की सिफारिश करेगा।
अमेरिका पर बरसे ओवैसी
ओवैसी ने कहा, “ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किया गया हमला अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का स्पष्ट उल्लंघन है। अमेरिका अपने ही संविधान के खिलाफ जा रहा है, जिसमें बिना कांग्रेस की मंजूरी के युद्ध की अनुमति नहीं है।”
उन्होंने अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड के उस पुराने बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ईरान में परमाणु हथियार होने का कोई ठोस सबूत नहीं है।
इजरायल की आलोचना
ओवैसी ने इजरायल पर भी निशाना साधा और कहा, “इजरायल के पास 700 से 800 परमाणु हथियार हैं, लेकिन उसने आज तक NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए। इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) को भी वह अपने ठिकानों का निरीक्षण नहीं करने देता। अमेरिका और पश्चिमी देश इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।”
उन्होंने आशंका जताई कि यदि इस क्षेत्र में युद्ध की स्थिति बनी तो अन्य अरब देश भी अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियार बनाने की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
पाकिस्तान पर व्यंग्य
ओवैसी ने पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या पाकिस्तान अब ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाना चाहता है? क्या पाकिस्तान के जनरल्स ने ट्रंप के साथ लंच करके इस हमले को समर्थन दिया था?”
उन्होंने कहा कि यह स्थिति पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व की असलियत को उजागर करती है।
भारतीयों पर खतरा
ओवैसी ने भारत के हितों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मध्य पूर्व और खाड़ी देशों में 1.6 करोड़ से अधिक भारतीय रहते हैं, जिन पर किसी भी युद्ध की स्थिति में सीधा खतरा मंडरा सकता है। उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में भारत की अर्थव्यवस्था, व्यापार और निवेश बहुत गहराई से जुड़े हैं। अगर जंग छिड़ती है तो इसका असर हमारे लोगों और हमारी अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ेगा।”