तमिलनाडु में लोकसभा परिसीमन का विरोध, स्टालिन बोले- हम एक और भाषा युद्ध के लिए तैयार

चेन्नई। तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच नई शिक्षा नीति की तीन भाषा नीति को लेकर विवाद और तेज होने की आशंका है। अब तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि राज्य एक और भाषा युद्ध के लिए तैयार है। राज्य में लोकसभा परिसीमन के मुद्दे पर चर्चा के लिए पांच मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला लिया गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि परिसीमन के बाद तमिलनाडु पर आठ लोकसभा सीटें कम होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि तमिलनाडु ने परिवार नियोजन कार्यक्रम को लागू करके जनसंख्या नियंत्रण किया है। लोकसभा परिसीमन के मुद्दे पर चर्चा के लिए पांच मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला लिया गया है।
सचिवालय में कैबिनेट बैठक के बाद सीएम स्टालिन ने कहा कि परिसीमन के बाद तमिलनाडु पर आठ लोकसभा सीटें कम होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि तमिलनाडु ने परिवार नियोजन कार्यक्रम को लागू करके जनसंख्या नियंत्रण किया है। सीएम ने कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग में पंजीकृत राजनीतिक दलों को सर्वदलीय बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। उन्होंने राजनीतिक मतभेदों को दूर करके एकजुट होकर बैठक में शामिल होने की अपील की। सीएम ने कहा कि परिसीमन के नाम पर दक्षिणी राज्यों पर तलवार लटक रही है। तमिलनाडु ने परिवार नियोजन कार्यक्रम के जरिये जनसंख्या नियंत्रण किया है। तमिलनाडु में जनसंख्या कम है इसलिए लोकसभा सीटों में कटौती हो सकती है। हम करीब आठ सीटें खोने जा रहे हैं और इसके बाद हमारे केवल 31 सांसद होंगे। मौजूदा समय में संसद में तमिलनाडु के 39 सांसद हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रतिनिधित्व संसद में कम हो जाएगा। तमिलनाडु की आवाज़ दबाई जा रही है। यह तमिलनाडु के अधिकारों का मामला है। सभी नेताओं और राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर एक साथ बोलना चाहिए। बैठक में तीन-भाषा नीति पर चर्चा को लेकर स्टालिन ने कहा कि एनईपी, केंद्रीय कोष और एनईईटी जैसे मुद्दों पर संसद में आवाज उठाने के लिए पर्याप्त संख्या में सांसदों की आवश्यकता है।हम इसके लिए तैयार हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बीच बीते कई दिनों से जुबानी जंग जारी है। बीते दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तमिलनाडु में लागू करने से स्टालिन के इनकार पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं स्टालिन, केंद्र सरकार पर जबरन राज्य में इसे लागू करने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने राज्य पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया। इस आरोप का केंद्र सरकार ने खंडन किया है।

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