
झाँसी। चिरगांव थाना क्षेत्र के ग्राम करगुवा में हाईवे जाम करने के मामले में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमों को लेकर लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों और मृतक के परिजनों का आरोप है कि न्याय की मांग करने पर प्रशासन ने उल्टा उनके खिलाफ ही कानूनी कार्रवाई कर दी, जिससे आम जनता में गहरी नाराजगी फैल गई है।
दरअसल, ग्रामीणों का कहना है कि गांव के एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। परिजन रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए एट (जालौन) थाने गए, लेकिन वहां पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने में हीलाहवाली की। मजबूर होकर परिजनों और ग्रामीणों ने शांतिपूर्वक सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराया। लेकिन प्रशासन ने इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को नजरअंदाज करते हुए उल्टे मृतक के परिजनों सहित दर्जनों ग्रामीणों पर मुकदमे दर्ज कर दिए।
जिला पंचायत सदस्य विवेक राजपूत उर्फ गोलू माते ने पुलिस कार्रवाई को षड्यंत्र करार देते हुए कहा, “हमने कई बार प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। जब हमने अपनी आवाज़ उठाई तो हम पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया गया। पुलिस से ना तो धक्का-मुक्की हुई और ना किसी प्रकार की अभद्रता। क्या अब आम आदमी को अपनी बात कहने का हक भी नहीं बचा?”
इस मामले में ग्रामीणों ने भी पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए प्रशासन से मुकदमे वापस लेने की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए, न कि उन्हें ही अपराधी बना दिया जाए। शांतिपूर्ण विरोध को अपराध मानना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। प्रशासन यदि समय पर कार्रवाई करता, तो जनता को सड़क पर नहीं उतरना पड़ता।
पुलिस क्षेत्राधिकारी अजय श्रोत्रीय ने कहा कि “उक्त लोगों ने हाइवे के बीच बैठकर जाम लगाया था, जिससे आम जनमानस को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसी के आधार पर मुकदमा पंजीकृत किया गया है। मामले में जांच और अग्रिम कार्रवाई प्रचलित है। इस तरह हाईवे जाम करना अपराध है।”
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