ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा क्षेत्र पर टिकीं निवेशकों की नज़रें


डॉ. विकास वी. गुप्ता, सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार, ऑम्नीसाइंस कैपिटल

वर्तमान बाजार स्थिति में निवेशकों को अत्यधिक अस्थिरता और वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत-पाकिस्तान संघर्ष और वैश्विक तनावों के कारण बाज़ार बहुत संवेदनशील हो गया है। ऐसे समय में सफल निवेश की कुंजी है-अनुशासन, धैर्य और एक ऐसा वैज्ञानिक ढांचा जो भावनाओं और पूर्वाग्रहों से मुक्त हो कर स्पष्ट निर्णय लेने में सहायक हो।

ऑम्नीसाइंस कैपिटल की सलाह है कि दीर्घकालिक निवेशकों को न घबराना चाहिए, न ही बाज़ार की प्रवृत्तियों का अंधानुकरण करते हुए अवसर छूटने के भय (FOMO) का शिकार होना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें उन क्षेत्रों और कंपनियों की एक सूची तैयार करनी चाहिए जिनमें दीर्घकालिक संभावना हो और जब वे उचित मूल्यांकन पर उपलब्ध हों, तो धीरे-धीरे निवेश करना चाहिए।

अनिश्चितता में वैज्ञानिक निवेश की शक्ति

हम निवेशकों को वैज्ञानिक निवेश ढांचे (Scientific Investing Framework) को अपनाने की सलाह देते हैं। यह एक आंकड़ा-आधारित और तार्किक दृष्टिकोण है जो निवेश विकल्पों की संख्या को घटाकर उच्च गुणवत्ता वाले अवसरों पर केंद्रित करता है। इस ढांचे के माध्यम से हम तीन प्रकार की कंपनियों को अलग करते हैं:
• पूंजी नष्ट करने वाली कंपनियाँ (Capital Destroyers) – कमजोर बैलेंस शीट वाली कंपनियाँ जो संकट के समय असफल हो सकती हैं।
• पूंजी क्षय करने वाली कंपनियाँ (Capital Eroders) – वे कंपनियाँ जिनके पास दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ नहीं होता।
• पूंजी संकुचित करने वाली कंपनियाँ (Capital Imploders) – अधिक मूल्यांकन और धीमी वृद्धि वाली कंपनियाँ जो भविष्य में अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरतीं।

इसके बाद बचती हैं पूंजी गुणक कंपनियाँ (Capital Multipliers) – जिनकी बैलेंस शीट मजबूत होती है, विकास की संभावना अधिक होती है, प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त होती है, और जो अपने वास्तविक मूल्य से कम कीमत पर उपलब्ध होती हैं।
हमारे विश्लेषण के अनुसार, वर्तमान समय में बैंकिंग, ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, आवास वित्त और इंजीनियरिंग/बुनियादी ढांचा निर्माण जैसे क्षेत्रों में सशक्त निवेश अवसर उपलब्ध हैं।

रक्षा क्षेत्र: रणनीतिक ध्यान का केंद्र

हाल की घटनाओं के कारण रक्षा क्षेत्र निवेशकों के लिए मुख्य आकर्षण बन गया है। ऑपरेशन सिंदूर और क्षेत्रीय तनावों के चलते रक्षा मंत्रालय ने परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन को प्राथमिकता दी है। कई रक्षा कंपनियों की ऑर्डर बुक 5–7 वर्षों तक की है, परंतु अब इन्हें 2–3 वर्षों में पूरा करने का दबाव है।

यदि कंपनियाँ तेजी से निष्पादन कर पाती हैं, तो राजस्व और लाभ में तीव्र वृद्धि संभव है, जिससे विश्लेषक उनके अनुमानों और लक्ष्य मूल्यों को उन्नत कर सकते हैं।

हथियारों से आगे: रक्षा का व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र

केवल हथियारों और गोला-बारूद पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है। ऐसे कई अन्य क्षेत्र हैं जो परोक्ष रूप से रक्षा से जुड़े हैं और जिनमें वृद्धि की संभावना है:
• साइबर सुरक्षा – डिजिटल युद्ध की चुनौतियों के बीच सुरक्षित प्रणाली की मांग में तीव्र वृद्धि।
• रणनीतिक खनिज और दुर्लभ तत्व – उच्च तकनीक रक्षा प्रणालियों के लिए आवश्यक कच्चे पदार्थ।
• तेल और गैस, जलविद्युत परियोजनाएँ – ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक।
• सैन्य परियोजना निर्माण, लॉजिस्टिक्स और रक्षा रेलवे – दीर्घकालिक अवसंरचना विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका।

इन क्षेत्रों में तभी निवेश करें जब कंपनियाँ वैज्ञानिक निवेश के मानदंडों पर खरी उतरती हों और मूल्यांकन भी आकर्षक हो।

वैश्विक प्रवृत्तियों से भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा

एक और महत्त्वपूर्ण कारक है वैश्विक रक्षा पुनःसज्जा। हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि नाटो सदस्य देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2% रक्षा पर खर्च करना चाहिए। इससे जर्मनी और अन्य देशों ने अपने रक्षा बजट में वृद्धि की है। कई छोटे और विकासशील देश अब भारतीय रक्षा प्रणालियों की ओर रुख कर रहे हैं।

यह प्रवृत्ति भारत को प्रमुख रक्षा निर्यातक बनने का अवसर प्रदान कर रही है। जो भारतीय कंपनियाँ वैश्विक गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता प्रस्तुत कर सकती हैं, उन्हें इसका अत्यधिक लाभ मिल सकता है।

अनुशासन और धैर्य से बनेगा विकास का मार्ग

आगामी कुछ सप्ताहों में बाज़ार में अस्थिरता बनी रह सकती है, परंतु दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह कोई नई बात नहीं है। आवश्यकता है एक स्थायी ढांचे की, जो बार-बार परीक्षण में सफल रहा हो।
मजबूत बुनियादी सिद्धांतों वाली कंपनियों में निवेश करें, प्रचार से दूर रहें और केवल उन्हीं कंपनियों का चयन करें जो संकट का सामना कर सकें। ऑम्नीसाइंस कैपिटल का विश्वास है कि आने वाला समय सट्टा और स्थायित्व के बीच स्पष्ट अंतर स्थापित करेगा। जो निवेशक वैज्ञानिक निवेश के सिद्धांतों को अपनाएँगे, वे इस अनिश्चितता से सशक्त होकर उभरेंगे।

हमेशा स्मरण रखें: शांत रहें, बुद्धिमत्तापूर्वक निवेश करें और भावना नहीं, विज्ञान को अपनाएँ।

लेखक डॉ. विकास वी. गुप्ता, सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार, ऑम्नीसाइंस कैपिटल, जो एक वैश्विक निवेश प्रबंधन संस्था है और वैश्विक व भारतीय इक्विटी निवेश पर केंद्रित है। यह संस्था अपनी विशिष्ट Scientific Investing पद्धति के माध्यम से निवेश को सशक्त बनाती है। डॉ. गुप्ता ने IIT बॉम्बे से बी.टेक और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। वे एक पूर्व वैज्ञानिक और प्रोफेसर हैं, और उन्हें पूंजी बाजारों में दो दशकों से अधिक का अनुभव है। वे नियमित रूप से प्रमुख वैश्विक वित्तीय प्रकाशनों और मीडिया में प्रकाशित होते रहते हैं।

इस लेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया www.omnisciencecapital.com पर जाएं।

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