“आइए रंग रंग खेलें, सियासत के संग संग खेलें” : अतुल
व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने मीडिया पर चलाए चुटीले बाण
संवाददाता
गाजियाबाद। “मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन” और “अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान” की ओर से आयोजित पत्रकारों के होली मिलन समारोह “रंगोत्सव” की अध्यक्षता करते हुए व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने कहा कि मौजूदा दौर में व्यंगकारों का काम देश के न्यूज़ चैनल बखूबी कर रहे हैं। हर घंटे देश भक्ति को कैश किया जा रहा है। अपने चुटीले अंदाज में श्री पुराणिक ने कहा कि अधिकांश चैनल्स में पाकिस्तान को फतह करने की होड़ मची है। होड़ का आलम यह है कि अभिनंदन के रिहा होने से पहले ही एंकर शोर मचाने लगे थे कि अभिनंदन सबसे पहले हमारे ही चैनल पर रिहा किया जाएगा।
होटल रेड बरी में आयोजित “रंगोत्सव” के मुख्य अतिथि पत्रकार अतुल सिन्हा ने कहा कि देश का माहौल हर दिन होली का सा हो गया है। कभी हम सियासत के रंग से सराबोर हो जाते हैं, तो कभी देश भक्ति, जाति और धर्म के रंग में नहलाए जाते हैं। उन्होंने अपनी कविता “आइए रंग रंग खेलें, सियासत के संग संग खेलें, झंडों में लगे डंडों से खेलें, नारों से खेलें, वादों से खेलें, विरासत से खेलें, शहादत से खेलें, खबरों से खेलें, खबरचियों से खेलें, आइए रंग रंग खेलें, पंजे से खेलें, कमल से खेलें, साइकिल से खेलें, हाथी से खेलें, ईवीएम से खेलें, वीपैट्स से खेलें, आइए रंग रंग खेलें, कुछ भी खेलें, इंसानियत से खेलें, नफरत से नहीं भाईचारे से खेलें, बसंती उमंगों से खेलें, तरंगों से खेलें, प्यार से खेलें, गुलाल से खेलें, आइए रंग रंग खेलें” पर जम कर वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं इंडस्ट्रियल एरिया मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव सचदेव ने कहा कि महानगर में उद्योग और साहित्य की नई जमीन तैयार हो रही है। जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।
“मीडिया 360 लट्रेरी फाउंडेशन” के अध्यक्ष शिव राज सिंह ने कहा कि होली मिलन समारोह महानगर के पत्रकारों की समृद्ध परंपरा रही है। जिसे हर कीमत पर बरकरार रखा जाएगा।
“रंगोत्सव” को शायरी के रंगों से भरते हुए पत्रकार राज कौशिक ने कई शेयर सुनाए। उन्होंने फरमाया “हजारों पुण्य का फल पा गया हूं, तेरी महफिल में फिर आ गया हूं” “इबादत करते करते थक गया हूं, मोहब्बत सीखने आ गया हूं”। पत्रकार रवि अरोड़ा ने आलोक यात्री के संदर्भ में बचपन के अपने अनुभव को चुटीले अंदाज में प्रस्तुत किया। पत्रकार सलामत मियां ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता की दृष्टि से यह शहर बहुत काफी समृद्ध है। उन्होंने पत्रकारों की एकजुटता पर बल दिया। शायर सुरेंद्र सिंघल ने भी अपने शेरों पर जमकर दाद बटोरी। उन्होंने फरमाया “तो तय हुआ है तकरार हम करेंगे नहीं, रहेंगे साथ मगर प्यार हम करेंगे नहीं”, “अगर गलत को गलत कह दिया गलत क्या है, जीहुजूरी तो सरकार हम करेंगे नहीं,” “फरेब खा ही लिया है कर लिया यंकी तुम पर, एक भूल थी इस बार हम करेंगे नहीं”। सीमा सिंह ने पुलवामा की घटना के संदर्भ में कहा “मेरी तकदीर में मौला लिखा क्या सोचती हूं मैं, गया वो पास फिर मेरे बचा क्या मेरे सोचती हूं मैं,” “पलट कर वह नहीं आया कई मौसम गए आए, रगों और सांसो में रुका क्या सोचती हूं मैं”। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अरुण सागर ने फरमाया “लबों पर सिसकी, पलक पे आंसू, धड़कती सांसें, जेहन में यादें, तुम्हें खबर क्या कि हमने कैसे गुजारी तुम बिन तमाम रातें,” “झुका के पलकें, उड़ा के दामन, झटक के जुल्फें, किधर गए वो, उसी जगह पर टिकी हुई है हमारी उदास आंखें”।
कार्यक्रम को हरी जोशी, विंग कमांडर अरुणेंद्र वर्मा, डॉ महकार सिंह, ऋचि जोशी, अवधेश श्रीवास्तव, गोविंद गुलशन, डॉ. धनंजय सिंह, आर.के.भदौरिया ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तरुण मिश्रा की सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रवीण कुमार ने किया। इस अवसर पर अशोक अरोड़ा, सुरेंद्र अरोड़ा, राजीव अरोड़ा, अजय पाठक, अशोक गुलाटी, मनजीत सिंह, सुनील दत्त, डॉ. पूनम सिंह, रो. सुरेंद्र शर्मा, रो. आर.के. चतुर्वेदी, रो. वीरेंद्र अरोड़ा, मोहम्मद इकबाल, अतुल जैन, सुभाष गर्ग, अरुण शर्मा, जितेंद्र त्यागी, राजेश बंसल, तिलक राज अरोड़ा, अशोक जिंदल, रमेश शर्मा, संजीव शर्मा, सुब्रत भट्टाचार्य, संदीप सिंघल,राजवीर सिंह, नंद किशोर उपाध्याय, फरमान अली, नोमान अली, आशुतोष मिश्रा, निशा, वरुण, अभिनेश, शिव प्रकाश रक्षक, हेमकृष्ण जोशी, नीरज कौशिक, पराग कौशिक, सुभाष चंदर, ललित चौधरी, तूलिका सेठ, बी.एल. बत्रा अमित्र, नरेश शर्मा, भारत भूषण बरारा, राकेश चोपड़ा, देवेंद्र वालिया, सुभाष शर्मा, तरुण चिटकारा, सुरेंद्र शर्मा, डॉ. श्वेता त्यागी, सुप्रिया सिंह मीणा, सोनम यादव, रितेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, पत्रकार एवं उद्यमी शामिल थे।















