
कर्नाटक में कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे अपने एक बयान के कारण विवादों में फंस गए हैं। महिला पत्रकार ने जब उनके क्षेत्र में अस्पताल की कमी से होने वाली समस्याओं के बारे में पूछा, तो देशपांडे ने असामान्य जवाब देते हुए कहा कि वे उनकी डिलीवरी कहीं और करवा देंगे।
उनके इस गैरजिम्मेदाराना बयान की सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना हो रही है। बीजेपी ने भी इस मामले में देशपांडे की आलोचना की है।
कर्नाटक में कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे अपने एक बयान के कारण विवादों में आ गए हैं। महिला पत्रकार को अटपटा जवाब देने के बाद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
मीडिया से बातचीत के दौरान एक महिला पत्रकार ने आरवी देशपांडे से सवाल किया कि उनके क्षेत्र के एक गांव में अस्पताल नहीं है, जिससे गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस पर जवाब देते हुए आरवी देशपांडे ने कहा कि वे उनकी डिलीवरी कहीं और करवा देंगे।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर कन्नड़ जिले की हलियाल सीट से कांग्रेस के विधायक आरवी देशपांडे के इस गैरजिम्मेदाराना बयान पर विवाद छिड़ गया है। जब वह कई पत्रकारों के साथ बैठे थे, तभी एक महिला पत्रकार ने पूछा, “जोयडा तालुक को अस्पताल कब मिलेगा? वहां के लोगों को, खासकर गर्भवती महिलाओं को, काफी परेशानी होती है।” इस सवाल के जवाब में विधायक आरवी देशपांडे ने कहा, “हम आपकी डिलीवरी हलियाल में कराएंगे।”
देशपांडे का विवादित बयान
आरवी देशपांडे का यह जवाब सुनकर महिला पत्रकार थोड़ी असहज हो गई और फिर उसने पूछा, “आपने क्या कहा?” इस पर देशपांडे हंसते हुए बोले, “जब आपकी डिलीवरी का समय आएगा, तो हम कहीं और डिलीवरी कराएंगे।”
महिला पत्रकार ने फिर से विधायक को मामले की गंभीरता समझाते हुए कहा, “इलाके के लोगों को अस्पताल की सख्त जरूरत है।” इस पर देशपांडे ने बस “ठीक है” कहकर चुप हो गए।
माफी की मांग को नजरअंदाज किया
महिला पत्रकार के मीडिया चैनल ने जब इस हरकत पर विधायक से माफी मांगे की अपील की, तो उनका कोई जवाब नहीं आया। बीजेपी के प्रवक्ता विजय प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “एक तरफ राहुल गांधी प्यार और सम्मान की बात करते हैं, और दूसरी तरफ उनके नेता नफरत फैला रहे हैं। माताओं और महिलाओं का अपमान करना कोई राजनीति नहीं बल्कि यह मूल्यों का हनन है।”
अस्पताल के लिए चलाया गया अभियान
बता दें कि उत्तर कन्नड़ में अस्पताल की कमी के कारण कुछ समय पहले ‘No Hospital No Vote’ (अस्पताल नहीं तो वोट नहीं) अभियान चलाया गया था। इस क्षेत्र के लोगों को बेहतर इलाज के लिए मंगलुरु और उडुपी जैसे पड़ोसी जिलों का रुख करना पड़ता है।
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