
आगरा। महाशिवरात्रि के अवसर पर ताजमहल में एक महिला ने शिवलिंग स्थापित कर उसकी पूजा-अर्चना की। महिला ने ताजमहल के परिसर में एक शिवलिंग रखा और उस पर गंगाजल चढ़ाया। साथ ही, धूपबत्ती जलाकर उसने विधिपूर्वक पूजा की। इस घटना ने ताजमहल के इतिहास में एक अनूठे रूप से महाशिवरात्रि का पर्व मनाने का रूप लिया।
हालांकि, ताजमहल भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्मारक है, और इसे एक मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था, ऐसे में ताजमहल में किसी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन परंपरागत रूप से नहीं होता है। इस प्रकार की घटना के कारण विवाद भी उठ सकते हैं, क्योंकि ताजमहल का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है, लेकिन इस पर सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा कि इस तरह की पूजा को लेकर क्या निर्णय लिया जाएगा।
महाशिवरात्रि के मौके पर ताजमहल में एक विवादित घटना सामने आई, जब अखिल भारत हिंदू महासभा की महिला मोर्चा की अध्यक्ष, मीरा राठौर ने ताजमहल में शिवलिंग स्थापित कर गंगाजल चढ़ाया और पूजा-अर्चना की। उन्होंने इस पूजा के दौरान ताजमहल को “तेजोमहालय” बताया, और कहा कि यह जगह पहले भगवान शिव के मंदिर के रूप में स्थापित थी, जिसे बाद में अन्य समुदाय के लोगों ने “अशुद्ध” किया।
मीरा राठौर ने यह दावा किया कि ताजमहल परिसर को चादर चढ़ाकर और बिरयानी बांटकर अशुद्ध किया गया था, इसलिए उन्होंने इसे शुद्ध करने के उद्देश्य से वहां भगवान शिव की पूजा की। राठौर ने संगम से लाए गए गंगाजल से शिवलिंग पर जल चढ़ाया और धूपबत्ती से पूजा अर्चना की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वह ताजमहल परिसर में “हर-हर महादेव” के नारे लगाते हुए पूजा करती दिखाई दे रही हैं।
यह घटना एक बार फिर ताजमहल के इतिहास और इसके सांस्कृतिक महत्व को लेकर चर्चा का विषय बन गई है। कुछ हिन्दूवादी संगठनों का मानना है कि ताजमहल असल में भगवान शिव का मंदिर था, और उनका यह भी दावा है कि ताजमहल का असली नाम “तेजोमहालय” था। इस तरह की घटनाएं समाज में विभिन्न दृष्टिकोणों को सामने लाती हैं और इनसे संबंधित विवाद अक्सर बढ़ जाते हैं, खासकर जब यह धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों से जुड़ी होती हैं।










