राजभवन में मनाया गया ओडिशा राज्य का स्थापना दिवस

  • ओडिशा राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष लगाई गई प्रदर्शनी
  • डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से ओडिशा राज्य की गौरवशाली परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहर से परिचित कराया गया

लखनऊ । प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से आज राजभवन के गांधी सभागार में ओडिशा राज्य का स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ओडिशा राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें राज्य के पारंपरिक भोजन, परिधान, ऐतिहासिक स्थल, महान विभूतियों और लोक परंपराओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। प्रदर्शनी में ओडिशा की कला और संस्कृति की भव्यता को रंगोली के माध्यम से भी दर्शाया गया, वहीं एक विशेष डॉक्यूमेंट्री ने राज्य की गौरवशाली परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहर से परिचित कराया।
कलाकारों द्वारा ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर को मंच पर प्रस्तुत किया गया। ओडिसी नृत्य, दाल खाई लोक नृत्य, ढाप लोक नृत्य, समलेस्वरी वंदना, रंगबती लोक नृत्य तथा बजनिया लोक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन आकर्षक प्रस्तुतियों ने ओडिशा की संस्कृति की भव्यता और उसकी गौरवशाली परंपराओं को बखूबी प्रतिबिंबित किया। कार्यक्रम ने ओडिशा की समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक वैभव को आत्मसात करने का अवसर प्रदान किया, जिससे सभी उपस्थित जनों को राज्य की सांस्कृतिक गरिमा से परिचित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, राज्यपाल, डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने राज्यपाल का संदेश पढ़ा।
इस अवसर पर अध्यक्ष उड़िया समाज लखनऊ जीबी पटनायक, सचिव उड़िया समाज लखनऊ डीआर साहू, अध्यक्ष यूपी अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड एसएन साबत, प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना मीरादास, लखनऊ उड़िया साहित्य सम्मान से सम्मानित दाश बेनहूर, वैज्ञानिक एनबीआरआई सीएस मोहन्ती एवं डॉ. सौमिक बेहरा, डीन लखनऊ विश्वविद्यालय प्रो. संगीता साहू, डीन डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ प्रो. बीबी मलिक, अन्य महानुभाव, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, कलाकारगण सहित राजभवन के अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

राज्यपाल का संदेश
ओडिशा राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर मैं आप सभी को स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूँ। मेरे लिये यह अत्यधिक प्रसन्नता की बात है कि आज राजभवन के इस ऐतिहासिक सभागार में ओडिशा राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है।भगवान जगन्नाथ की यह भूमि कलिंग एवं उत्कल नाम से प्रसिद्ध थी। ओडिशा की विविधता में एकता और यहां के लोगों की मेहनत और समर्पण ने इसे विकास के नये आयाम दिये हैं। चाहे वो कला, साहित्य, विज्ञान, शिक्षा या खेल क्षेत्र हो, ओडिशा ने हमेशा अपनी ताकत और समर्पण से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने की कोशिश की है।

ओडिशा राज्य कला एवं संस्कृति तथा वास्तुकला की दृष्टि से काफी समृद्ध राज्य है। यहाँ का ओडिसी नृत्य विश्वविख्यात है। यहाँ के उत्कृष्ट हस्तशिल्प, लकड़ी एवं पत्थर की नक्काशी के कार्य तथा मनमोहक पर्यटन स्थल दर्शनीय हैं। कोणार्क का सूर्य मन्दिर, भुवनेश्वर का लिंगराज मन्दिर, पुरी का जगन्नाथ मन्दिर लोगों के महत्वपूर्ण आस्था केन्द्र हैं। हमारे देश में भौगोलिक और प्राकृतिक विविधिता से सम्पन्न प्रत्येक राज्य की अपनी विशेषताएं हैं। भारत भूमि हर राज्य को आपस में जोड़ती है और हमारी विलक्षण संस्कृति हम सबको एक सूत्र में बांधती है। अनेकता में एकता ही हमारे देश की विशेषता रही है। हमारे प्रत्येक राज्य की बेमिसाल सांस्कृतिक विरासत है, अलग पहचान है। इनके परिधानों में, आभूषणों में, गायन में, वाद्यों में, नृत्यों में और बोलियों में हम इसे देखते हैं। कला एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से राज्यों एवं देशों के मध्य बेहतर तालमेल और सद्भावना बढ़ती है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए देश के प्रधानमंत्रीनरेन्द्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ की परिकल्पना की, जिसका उद्देश्य भारत जैसे विशाल देश, जिसमें विविध भाषाओं, संस्कृतियों, अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास को सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत करना है। इसके साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों की विरासत और विभिन्न राज्यों के मध्य सांस्कृतिक सम्बन्धों को भी बढ़ावा देना है ताकि राज्यों की संस्कृति और परम्परा के ज्ञान का आदान-प्रदान हो सके।
हमारा भारत विविधता को विशेषता के रूप में जीने वाला देश है। हम विविधता को उत्सव के रूप में मनाने वाले लोग हैं। हम अलग-अलग भाषाओं और बोलियों को, अलग-अलग कलाओं और विधाओं का उत्सव मनाते हैं। हमारी विविधता हमें बांटती नहीं है, बल्कि हमारे बंधन को और हमारे संबंधों को और मजबूत करती है। जब इस प्रकार के आयोजन होते हैं, तो देश की एकता और मजबूत होती है। ये देश के उन हजारों-लाखों स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों के सपनों को साकार कर रही है, जिन्होंने अपना बलिदान देकर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का सपना देखा था।
विभिन्न प्रदेशों के स्थापना दिवस समारोह से जनसामान्य को जहां एक-दूसरे की सांस्कृतिक विरासत को जानने एवं समझने का अवसर मिलता है, वहीं भाषा, साहित्य, खान-पान, पर्व और पर्यटक स्थलों की जानकारी लोगों को प्राप्त होती है। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बीच होने वाली भेंटवार्ता, समझ और प्रशंसा की भावना भी पैदा होती है, जो आपसी संबंधों को बढ़ावा देती है। और इससे राष्ट्रीय एकता की भावना भी प्रबल होती है।
हमारे ऋषियों-मुनियों ने चार धाम यात्रा की व्यवस्था इसलिये की थी कि देशवासी इस चार धाम यात्रा के माध्यम से भारत भ्रमण कर सम्पूर्ण देश की भाषा, संस्कृति, पहनावा, खान-पान आदि के बारे में जान सकें और देश की एकता की भावना को बल मिले। मैं आपको बताना चाहती हूँ कि हमारे देशवासियों के बीच एकता और आपसी प्रेम की भावना हजारों वर्षों से है। स्थापना दिवस समारोह इस एकता की भावना को बनाये रखने का प्रतीक है। ओडिशा राज्य वर्तमान समय में प्रगति और विकास की ओर अग्रसर है। 03 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओडिशा के संबलपुर में 68,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन, राष्ट्र को समर्पण और शिलान्यास किया। खनन क्षेत्र में विकास हेतु ओडिशा में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है।
05 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ओडिशा के चंडीखोल में तेल व गैस, रेल, सड़क, परिवहन व राजमार्ग और परमाणु ऊर्जा सहित अनेक क्षेत्रों से संबंधित 19,600 करोड़ रुपये से अधिक की अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया। 17 सितम्बर, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओडिशा के भुवनेश्वर में महिला-केंद्रित सबसे बड़ी योजना ’सुभद्रा’ का शुभारंभ किया। ये सारी परियोजनाएं राज्य के विकास को गति देने में सहायक हो रही है। मैं ओडिशा के सभी नागरिकों को इस महान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ और आशा करती हूँ कि ओडिशा निरंतर प्रगति की ओर बढ़े और इसका विकास अनवरत जारी रहे। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, राज्यपाल, डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने उपस्थित सभी अतिथियों को उड़ीसा राज्य के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गौरवशाली इतिहास और लोक परंपराएं पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कलाकारों की उत्कृष्ट प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कहा कि इस आयोजन ने ओडिशा की भव्य संस्कृति और उसकी विशिष्ट पहचान को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया है।

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