अमेरिका-रूस में परमाणु तनाव: ट्रंप ने दी चेतावनी, रूस के पास भेजीं दो न्यूक्लियर पनडुब्बियां

अंतरराष्ट्रीय राजनीति एक बार फिर परमाणु तनाव के मुहाने पर खड़ी दिख रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के करीब दो परमाणु शक्ति से लैस पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश दिया है। ट्रंप ने यह बड़ा कदम रूस के पूर्व राष्ट्रपति और पुतिन के करीबी सहयोगी दिमित्री मेदवेदेव के “डेड हैंड” बयान के जवाब में उठाया है।

मेदवेदेव के बयान से सतर्क हुआ अमेरिका

दरअसल, मेदवेदेव ने ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा था कि उन्हें रूस की “डेड हैंड” प्रणाली की ताकत नहीं भूलनी चाहिए। यह एक स्वचालित परमाणु प्रतिरोध प्रणाली है जो नेतृत्व के नष्ट हो जाने के बाद भी जवाबी हमला करने में सक्षम होती है। उन्होंने ट्रंप पर व्यंग्य करते हुए कहा कि वह ‘द वॉकिंग डेड’ को याद करें – संभवतः यह जताने के लिए कि परमाणु युद्ध में कोई नहीं बचेगा।

ट्रंप का जवाब: “हम हर स्थिति के लिए तैयार”

ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दो न्यूक्लियर सबमरीन को “उपयुक्त क्षेत्रों” में भेजने का आदेश दे दिया है ताकि अमेरिका किसी भी संभावित परिस्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इन पनडुब्बियों को वास्तव में कहां तैनात किया गया है।

‘डेड हैंड’ क्या है?

डेड हैंड सोवियत संघ द्वारा विकसित की गई एक परमाणु नियंत्रण प्रणाली थी, जिसे इस तरह डिज़ाइन किया गया था कि यदि रूस की पूरी राजनीतिक और सैन्य कमान नष्ट हो जाए, तो यह प्रणाली अपने आप जवाबी परमाणु हमला शुरू कर दे। हालांकि यह अब सक्रिय नहीं है, लेकिन रूस के रणनीतिक संकेतों में यह प्रणाली एक सशक्त मनोवैज्ञानिक हथियार के रूप में काम करती है।

ट्रंप का अल्टीमेटम और रूस की प्रतिक्रिया

इस विवाद की शुरुआत ट्रंप के उस बयान से हुई जब उन्होंने रूस से 10-12 दिनों के भीतर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की चेतावनी दी थी। इस पर रूस की तीखी प्रतिक्रिया आई और मेदवेदेव ने इसे सीधा युद्ध की धमकी बताया।

उन्होंने कहा कि रूस कोई ईरान या इजरायल नहीं है जो अमेरिकी दबाव में आ जाए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि ट्रंप जैसे बयानों से अमेरिका एक पूर्ण युद्ध की ओर बढ़ सकता है।

परमाणु पनडुब्बियां: क्या होती हैं और कितनी शक्तिशाली होती हैं?

न्यूक्लियर पनडुब्बी आमतौर पर डीज़ल इंजन से चलने वाली पारंपरिक पनडुब्बियों से कहीं अधिक सक्षम होती हैं। इनमें यूरेनियम आधारित न्यूक्लियर रिएक्टर लगे होते हैं जो इन्हें कई महीनों तक बिना रुकावट समुद्र की गहराई में सक्रिय बनाए रखते हैं। इन्हें हवा की आवश्यकता नहीं होती, जिससे ये सतह पर आए बिना लंबे समय तक दुश्मन के क्षेत्र में निगरानी और हमला कर सकती हैं।

न्यूक्लियर पनडुब्बियों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इनकी रेंज लगभग असीमित होती है और ये बेहद खुफिया तरीके से ऑपरेट कर सकती हैं। हालांकि, इनकी लागत अरबों डॉलर होती है और इन्हें केवल परमाणु तकनीक में पारंगत देश ही बना सकते हैं।

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