आजीविका मिशन में फर्जी भर्ती में दोषी पाई गईं सुषमा की संविदा सेवा समाप्त करने की अब उठ रही मांग…ये है पूरा मामला

सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ फर्जी भर्ती का मामला वर्ष 2022 में सामने आया था। आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या द्वारा की गई जांच में वह दोषी पाई गई थीं। इसके बाद तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव द्वारा विकास आयुक्त कार्यालय से कराई गई जांच में भी उनके खिलाफ आरोप साबित हुए थे। हाल ही में EOW ने भी इस मामले में जांच की और सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की।

संविदा नियमों के तहत कार्रवाई की आवश्यकता

मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 5 जून 2018 को जारी आदेश के अनुसार, भ्रष्टाचार और अनियमितता में दोषी पाए गए संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने का प्रावधान है। अब तक 100 से अधिक संविदा कर्मचारियों को इस नियम के तहत सेवा से हटा दिया गया है। दीपक जोशी ने आरोप लगाया कि स्पष्ट शासन निर्देशों के बावजूद सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है, जो कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बढ़ावा देने जैसा है।

शासन से तत्काल कार्रवाई की अपील

दीपक जोशी ने कहा कि यदि दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा होगा। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से सुषमा रानी शुक्ला की संविदा सेवा तत्काल समाप्त करने की मांग की है, ताकि शासन के आदेशों का पालन किया जा सके और जिम्मेदार कर्मचारियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया जा सके।

यह मामला राज्य में संविदा कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया और विभागीय पारदर्शिता को लेकर अहम सवाल उठाता है

मध्यप्रदेश आजीविका मिशन के राज्य कार्यालय में संविदा पर कार्यरत राज्य परियोजना प्रबंधक सुषमा रानी शुक्ला की संविदा सेवा तत्काल समाप्त करने की मांग उठाई गई है। पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने पंखयत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर कार्रवाई की अपील की है। जोशी ने पत्र में आरोप लगाया कि आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज एफआईआर और तीन आईएएस अधिकारियों द्वारा की गई जांच में सुषमा रानी शुक्ला को दोषी पाए जाने के बावजूद उनकी सेवा को अब तक समाप्त नहीं किया गया है।

फर्जी भर्ती में दोषी पाई गईं सुषमा रानी शुक्ला

सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ फर्जी भर्ती का मामला वर्ष 2022 में सामने आया था। आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या द्वारा की गई जांच में वह दोषी पाई गई थीं। इसके बाद तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव द्वारा विकास आयुक्त कार्यालय से कराई गई जांच में भी उनके खिलाफ आरोप साबित हुए थे। हाल ही में EOW ने भी इस मामले में जांच की और सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की।

संविदा नियमों के तहत कार्रवाई की आवश्यकता

मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 5 जून 2018 को जारी आदेश के अनुसार, भ्रष्टाचार और अनियमितता में दोषी पाए गए संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने का प्रावधान है। अब तक 100 से अधिक संविदा कर्मचारियों को इस नियम के तहत सेवा से हटा दिया गया है। दीपक जोशी ने आरोप लगाया कि स्पष्ट शासन निर्देशों के बावजूद सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है, जो कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बढ़ावा देने जैसा है।

शासन से तत्काल कार्रवाई की अपील

दीपक जोशी ने कहा कि यदि दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा होगा। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से सुषमा रानी शुक्ला की संविदा सेवा तत्काल समाप्त करने की मांग की है, ताकि शासन के आदेशों का पालन किया जा सके और जिम्मेदार कर्मचारियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया जा सके।

यह मामला राज्य में संविदा कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया और विभागीय पारदर्शिता को लेकर अहम सवाल उठाता है

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