
बुकर प्राइज फाउंडेशन ने 8 से 12 साल के बच्चों के लिए ‘चिल्ड्रन्स बुकर प्राइज’ की घोषणा कर दी है। यह पुरस्कार 2027 में पहला बार दिया जाएगा और विजेता को 50,000 पाउंड (करीब 55 लाख रुपये) की राशि दी जाएगी। यह कदम बच्चों के लिए साहित्यिक दुनिया में नए अवसर खोलने के लिए उठाया गया है।
बच्चों के लिए नया बुकर अवॉर्ड
- बुकर प्राइज अब सिर्फ वयस्क लेखकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 8-12 साल के बच्चों के लिए भी यह पुरस्कार शुरू किया जा रहा है।
- इस अवॉर्ड में किसी भी देश का बच्चा हिस्सा ले सकता है, बशर्ते किताब अंग्रेजी में प्रकाशित या अनुवादित हो और प्रकाशन यूके या आयरलैंड में हुआ हो।
- इसका उद्देश्य बच्चों में अच्छी किताबों के प्रति रुचि बढ़ाना और उनकी साहित्यिक प्रतिभा को सम्मान देना है।
पुरस्कार और जूरी
- विजेता को 50,000 पाउंड की राशि मिलेगी।
- जूरी में बच्चे और वयस्क दोनों शामिल होंगे, ताकि बच्चों की दुनिया को सही तरीके से समझा और आंकल जा सके।
- जूरी की अगुवाई ब्रिटिश लेखक और चिल्ड्रन्स लॉरेट फ्रैंक कॉटरेल बॉयस करेंगे, जो बच्चों के लिए लिखी गई कहानियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
समयसीमा
- 2026 की शुरुआत में एंट्री खुलेंगी।
- समीक्षा और चयन प्रक्रिया लगभग एक साल चलेगी।
- पहला अवॉर्ड 2027 में दिया जाएगा।
बुकर प्राइज का इतिहास
- बुकर प्राइज की स्थापना 1969 में हुई थी और यह आज दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान माना जाता है।
- यह पुरस्कार उन लेखकों को दिया जाता है जिन्होंने अंग्रेजी या अनुवादित अंग्रेजी में असाधारण फिक्शन लिखा हो।
- अब तक सलमान रुश्दी, मार्गरेट एटवुड, इयान मैकएवन, अरुंधति रॉय और हिलारी मंटेल जैसे दिग्गज इस पुरस्कार को जीत चुके हैं।
भारत का योगदान
- इस साल भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक को उनकी किताब ‘हार्ट लैंप’ के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला।
- यह कन्नड़ भाषा में लिखी गई पहली किताब है जिसे बुकर प्राइज मिला।
- किताब का अंग्रेजी अनुवाद दीपा भष्ठी ने किया, जो इस सम्मान को पाने वाली पहली भारतीय ट्रांसलेटर बनी हैं।















